रामपुर :ईसी एक्ट स्पेशल कोर्ट ने कारतूस कांड (Rampur cartridge scam) के 24 आरोपियों को गुरुवार को दोषी करार दिया था. शुक्रवार को सभी दोषियों को सजा सुनाई गई. कोर्ट ने सभी को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई. इसके अलावा 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया है. इनमें सीआरपीएफ के दो हवलदार भी शामिल हैं. जबकि मुख्य आरोपी की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है. मामला साल 2010 में सामने आया था. केस में पहली बार तीन आरोपियों के पकड़े जाने के बाद एसटीएफ ने कड़ी से कड़ी जोड़कर कई आरोपियों के नाम उजागर किए थे. एसटीएफ ने मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. 13 साल बाद आरोपियों को सजा मिली.
साल 2010 में हुई थी पहली गिरफ्तारी :बता दें कि वर्ष 2010 में सीडब्ल्यूएस रामपुर से कारतूस बाहर जाने की शिकायत पर जांच शुरू की गई थी. इसके बाद 29 अप्रैल को सेवानिवृत्त दरोगा यशोदा नंद को पकड़ा गया था. उनकी तैनाती पीएसी में थी. इसके अलावा सीआरपीएफ में तैनात विनोद पासवान और विनेश कुमार भी पकड़े गए थे. तीनों आरोपियों के पास से इंसास राइफल, ढाई क्विंटल खोखा और 1.76 लाख रुपये मिले थे. आरोपी कारतूस को नक्सलियों और आतंकवादियों को सप्लाई कर रहे थे. इनकी निशानदेही पर पुलिस ने मुरादाबाद, बस्ती, गोंडा, वाराणसी सहित प्रदेश के कई जिलों से पुलिस और पीएसी से जुड़े आरोपियों को गिरफ्तार किया था.