कानपुर:आज के इस सियासी दौर में एक ओर जहां लोग धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करने में लगे हुए हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं, जिनकी सोच इन सब से बिल्कुल अलग है. हम बात कर रहे कानपुर शहर के छावनी निवासी मोहम्मद इकबाल की. इकबाल का परिवार 86 सालों रावण का पुतला बनाने का काम कर रहा है.
हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक
बुराई पर अच्छाई का प्रतीक कहे जाने वाले दशहरा पर्व पर इकबाल का पूरा परिवार तीन पीढियों से सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने का काम कर रहा है. उनके परिवार द्वारा तैयार रावण का पुतला हिंदू-मुस्लिम एकता प्रतीक माना जाता है. कानपुर छावनी परिषद की रामलीला में उनके द्वारा तैयार रावण के पुतले को भेजा जाता है.
शहर सबसे ऊंचा पुतला
ईटीवी भारत से बातचीत में कानपुर के रहने वाले मो. इकबाल ने बताया कि वह खुद 32 सालों से रावण के पुतले को तैयार कर रहे हैं. वह हर साल रावण का पुतला बनाते समय उसमें कई ऐसी आकर्षक कला का उपयोग करते हैं, जो की देखने में बेहद ही रोचक और अन्य पुतलों से अलग हो. मो. इकबाल ने बताया कि इस बार उनके द्वारा तैयार किया गया रावण का पुतला मुंह और आंखों से आग निकलेगा. इसके अलावा हाथ और पैरों से युद्ध करता नजर आएगा. उन्होंने दावा किया है कि, इस बार छावनी स्थित रामलीला में पूरे शहर का सबसे ऊंचा यानी 75 फीट का रावण सभी लोग देखेंगे. उन्होंने बताया कि उनके परिजनों ने अविभाजित भारत के दौरान ही इसकी नींव रख दी थी.
पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहें हैं पुतला
मो. इकबाल ने बताया कि उनके परिवार की वह चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं, जो रावण का पुतला तैयार कर रहे हैं और करीब 86 सालों से उनका परिवार रावण का पुतला बना रहा है. उन्होंने बताया कि, सबसे पहले उनके बड़े बाबा नूर मोहम्मद और परिवार के अन्य सदस्य रावण का पुतला तैयार करते थे. इसी वजह से यह सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी चाला आ रहा है.उन्होंने बताया कि यहां आपसी सौहार्द इतना मजबूत है कि धर्म कोई मायने नहीं रखता है.