रामपुर: हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ रामायण के बारे में सभी जानते हैं. सभी ने रामायण को पढ़ा होगा. संस्कृत भाषा में महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी भगवान राम की जीवनी के बारे में सभी जानते हैं. रामायण का कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि रामायण का फारसी में भी अनुवाद हुआ है. यही नहीं, फारसी में लिखी गई रामायण में एक अलग ही स्याही का प्रयोग किया गया है. इसे सोने के पानी से लिखा गया है.
सुनहरे अक्षरों से रामायण को लेखक सुमेर चंद्र ने लिखा और इसकी शुरुआत ऊं की जगह 'बिस्मिल्लाह अर्रह्मान अर्रहीम' (शरू करता हूं मैं अल्लाह के नाम से जो बेहद रहम करने वाला है) से की. सन 1715 ई. में फारसी भाषा मे लिखी रामायण के लेखक सुमेरचंद्र ने सोने चांदी के 258 चित्रों को भी इसमें समायोजित किया है. ये अनोखी रामायण इन दिनों उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले की रजा लाइब्रेरी की शोभा बढ़ा रही है.
रामपुर की रजा लाइब्रेरी वर्षों से भारतीय संस्कृति की विविधता को संजोए हुए है. 1774 से 1794 तक रामपुर राज्य पर शासन करने वाले नवाब फैजुल्ला खान ने रजा लाइब्रेरी की स्थापना की थी. 1949 में रामपुर राज्य के यूनियन ऑफ इंडिया में विलय के बाद रजा लाइब्रेरी को एक ट्रस्ट के प्रबंधन द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है, जिसे वर्ष 1951 में बनाया गया था.
रजा लाइब्रेरी का खजाना अरबी, फारसी, पश्तो, संस्कृत, उर्दू, हिंदी और तुर्की भाषा में अपनी 17000 ऐतिहासिक पांडुलिपियों के लिए मशहूर है. लाइब्रेरी में हजरत अली के हाथ की लिखा कुरान भी है जो शायद ही पूरी दुनिया में कहीं दूसरी जगह देखने को मिले. रजा लाइब्रेरी के इंचार्ज अबूसाद इस्लाही ने बताया कि वैसे तो बहुत सी मेनुस्क्रिप्ट यहां हैं. लेकिन, उनमें सबसे खास मेनुस्क्रिप्ट है फारसी में लिखी गई रामायण.
यह बहुत ही कीमती, अहम और मशहूर है. जो 1715 ई. में लिखी गई है. इसको लिखने वाले सुमेर चंद्र थे. यह एक रॉयल कॉपी है, क्योंकि इसके पहले पेज को सोने और चांदी के अलावा पर्शियन स्टोन से सजाया गया है. इसमें तकरीबन 258 तस्वीरें हैं, जो किसी भी अन्य भाषा की रामायण में नहीं देखने को मिलेगी. इन तस्वीरों की मदद से भगवान राम की कहानी को आसानी से समझा जा सकता है.