लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार पर्यटन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है. प्रदेश में धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक स्थलों की बहुतायत संख्या को देखते हुए अलग-अलग सर्किट का विकास किया जाएगा. जिसमें एक समान पर्यटन केंद्रों को शामिल किया जाएगा. उदाहरण के तौर पर भगवान राम से जुड़े स्थलों को रामायण सर्किट, भगवान कृष्ण से जुड़े धार्मिक स्थलों को कृष्ण सर्किट के तौर पर विकसित किया जाएगा. बुधवार को मंत्रिपरिषद ने नई पर्यटन नीति को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट मिनिस्टर एके शर्मा (cabinet minister ak sharma) ने नई पर्यटन नीति और पर्यटन के नए क्षेत्रों के विकास से जुड़ी जानकारी साझा की है.
रामायण सर्किट (Ramayana Circuit) में अयोध्या, चित्रकूट, बिठूर समेत अन्य धार्मिक स्थल शामिल होंगे. कृष्ण सर्किट में मथुरा, वृंदावन, गोकुल, गोवर्धन, बरसाना, नंदगांव, बलदेव से लेकर अन्य धार्मिक स्थलों को जोड़ा जाएगा. बुद्धिस्ट सर्किट में कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर, कौशाम्बी, श्रावस्ती, रामग्राम समेत अन्य स्थल शामिल होंगे. इसी तरह वाइल्डलाइफ और इको टूरिज्म को एक साथ रखते हुए इसमें सैंचुरी और फॉरेस्ट रिजर्व को विकसित किया जाएगा. इस प्रस्ताव के तहत प्रदेश में ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा, जहां पर इको टूरिज्म की संभावनाएं हैं.
महाभारत सर्किट (Mahabharat Circuit) में हस्तिनापुर, कांपिल्य, एछत्र, बरनावा, मथुरा, कौशाम्बी, गोंडा, लाक्षागृह जैसे स्थानों को चुना गया है. शक्तिपीठ सर्किट (Shaktipeeth Circuit) में विंध्यवासिनी देवी, अष्टभुजा से लेते हुए देवीपाटन, नैमिषारण्य, मां ललिता देवी, मां ज्वाला देवी, शाकुम्भरी देवी सहारनपुर से शिवानी देवी चित्रकूट और शीतला माता मऊ तक विस्तार होगा. आध्यात्मिक सर्किट (spiritual circuit) में गोरखपुर, बलरामपुर से लेकर मथुरा, संत रविदास स्थल, मां परमेश्वरी देवी आजमगढ़, बलिया का बिघू आश्रम, आगरा का बटेश्वर, हनुमान धाम शाहजहांपुर को सम्मिलित किया गया है. इसी तर्ज पर सूफी कबीर सर्किट (Sufi Kabir Circuit) में अमेठी, मगहर, संत कबीरनगर से लेकर कबीरदास की कर्मभूमि वाराणसी के लहरतारा तक ले जाने का प्रस्ताव है. जैन सर्किट (Jain Circuit) में देवगढ़, हस्तिनापुर से लेकर पार्श्वनाथ, दिगंबर जैन मंदिर रामनगर तक ले जाने का प्रस्ताव है.