अमृतसर : श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने फरीदकोट कोर्ट में पंजाब सरकार द्वारा गठित एसआईटी द्वारा दायर चालान से डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का नाम हटाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. जत्थेदार ने कहा कि डेरा प्रमुख को पर्चा संख्या 63 में नामित किया गया था.
उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट ने कहा था कि बरगारी और बुर्ज जवाहर सिंह के मामले एक जैसे हैं, लेकिन एसआईटी द्वारा दो दिन पहले पर्चा नंबर 128 में दायर चालान में डेरा प्रमुख का शामिल न होना एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है. जत्थेदार ने कहा कि कांग्रेस सरकार 2022 के चुनाव में इसका फायदा उठाना चाहती है. इसलिए इस मुद्दे पर राजनीति हो रही है.
जत्थेदार ने लगाए बड़े आरोप. जत्थेदार ने मांग की कि डेरा प्रमुख को हरियाणा जेल से लाया जाए और पंजाब में पूछताछ की जाए. साथ ही इसमें केंद्र सरकार से मिलीभगत का भी अंदेशा जताया जा रहा है.
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यौन शोषण के मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को कोर्ट ने पैरोल दी थी. उसे 48 घंटे की पैरोल की इजाजत दी गई थी. इससे पहले भी राम रहीम ने पैरोल पर बाहर आने की काफी कोशिश की थी. लेकिन सुरक्षा का हवाला देकर उसे पैरोल देने से इंकार कर दिया गया था. मां की बीमारी का हवाला देकर पैरोल मांग रहे राम रहीम की याचिका पर 17 मई को कोर्ट ने उसे बड़ी राहत दी.
बता दें कि 25 अगस्त, 2017 से राम रहीम सलाखों के पीछे है. इसी दिन पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने राम रहीम को साध्वियों से रेप के मामले में दोषी करार दिया था. वहीं यह भी बता दें कि राम रहीम स्वास्थ्य कारणों को लेकर पिछले दो महीने में पांच बार बाहर आ चुका है.
- 2 मई को ब्लड प्रेशर लो होने पर पीजीआईएमएस पहुंचा.
- 17 मई को 12 घंटे की पैरोल पर मां से मिलने आया था गुरुग्राम.
- 03 जून को पेट में दर्द होने पर अल सुबह पीजीआई में उपचार के लिए पहुंचा. छह जून को मेदांता गुरुग्राम में उपचाराधीन.
- 13 जुलाई को सिर और पेट दर्द के बाद दिल्ली एम्स ले जाया गया.
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