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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्मदिन आज, जानिए रामनवमी की पूजा विधि - मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम

बुराई पर अच्छाई के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिवस को दुनिया भर के राम भक्त बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. इस दौरान कन्या भोज के बड़े आयोजन जगह-जगह होते हैं.

Chaitra Navratri
Chaitra Navratri

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Published : Apr 21, 2021, 9:04 AM IST

भोपाल : नवरात्रि पर इस बार भी कोरोना का असर है. इसके चलते मंदिरों में श्रद्धालु माता रानी के दर्शन नहीं कर पाएंगे. चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि को रामनवमी भी कहा जाता है. बुराई पर अच्छाई के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिवस को दुनियाभर के राम भक्त बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. इस दौरान कन्या भोज के बड़े आयोजन जगह-जगह होते हैं, लेकिन इस बार कोरोना कर्फ्यू के चलते कन्या भोज नहीं हो पाएंगे.

नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि पर्व पर मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है. यह पर्व चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तिथि को समाप्त होता है, हालांकि कई लोग चैत्र नवरात्रि की समाप्ति चैत्र शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को करते हैं. नौ दिनों तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि की समाप्ति पर अगले दिन यानि दशमी तिथि को देवी दुर्गा की षोडशोपचार पूजा करके, उनका विधि-विधान अनुसार विसर्जन कर व्रत खोला जाता है. इस साल नवमी तिथि 21 अप्रैल बुधवार के दिन पड़ रही है.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य

रामनवमी को हुआ भगवान राम का जन्म
चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि रामनवमी के रूप में भी मनाई जाती है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार यही वो तिथि है जब भगवान विष्णु ने भगवान राम के रूप में जन्म लिया था. यही मुख्य कारण है कि चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को राम नवमी भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु राजोरिया का कहना है कि बुराई पर अच्छाई के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्मदिवस रामनवमी के दिन ही मनाया जाता है.

पढ़ें-रामनवमी को लेकर की गई विशेष तैयारी, लॉकडाउन का होगा पूरा पालन

घर पर ही रहकर करें पूजा-अर्चना
पंडित राजोरिया कहते हैं कि कोरोना कर्फ्यू के चलते मंदिरों में पूजा पर प्रतिबंध किया गया है. ऐसे में श्रद्धालु घर में ही रहकर संक्षिप्त रूप से पूजा अर्चना कर अपनी आस्था प्रकट कर सकते हैं.

रामनवमी पूजा मुहूर्त
सुबह 11 बजे से दोपहर 13.40 बजे तक

नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा
मां सिद्धिदात्री का शाब्दिक अर्थ सिद्धि देने वाली, देवी दुर्गा का ये नौंवां स्वरूप है, जो बेहद सुंदर और मनमोहक होता है. अपने इस रूप में मां लाल साड़ी पहने हुए हैं और सिंह की सवारी कर रही है, नहीं हो पाएंगे कन्या भोज चैत्र नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि, घटस्थापना की तिथि की तरह ही दो विशेष दिन होते हैं. इसलिए मां के भक्त इन दोनों ही दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ देवी दुर्गा की उपासना करते हैं. इस दिन भक्त मां दुर्गा से आर्शीवाद पाने के लिए कन्या पूजन और भोज करते हैं लेकिन इस बार लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के कारण कॉलोनियों और समितियों द्वारा किए जाने वाले कन्या भोज नहीं हो पाएंगे.

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