अयोध्या :भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर मंगलवार से धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गए हैं. पहले दिन मंगलवार को प्रायश्चित और कर्म कुटी पूजन किया गया था. वाराणसी के वैदिक विद्वानों ने यह आयोजन कराया. अनुष्ठान के मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्रा रहे थे. वहीं इसी क्रम में आज (बुधवार को) रामलला की मूर्ति का परिसर में भ्रमण कराया जाएगा. इसके बाद वह मंदिर में प्रवेश करेंगे.
श्री रामलला की मूर्ति का आज विधि-विधान से परिसर में भ्रमण कराया जाएगा. इसके बाद गर्भगृह का शुद्धिकरण किया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा को लेकर मंगलवार को अनुष्ठान की शुरुआत की गई थी. गुजरात के राम भक्तों द्वारा भेंट की गई. अगरबत्ती को महन्त नृत्य गोपाल दास ने कार्यक्रम स्थल अयोध्या धाम बस स्टैंड पर पहुंचकर अपने हाथों से जलाई थी. पहले दिन का अनुष्ठान विवेक सृष्टि परिसर में हुआ था. बाकी के अनुष्ठान राम राम जन्मभूमि परिसर में हो रहे हैं.
पहले दिन के कार्यक्रम में पूजन सामग्री के साथ काशी के विद्वान विवेक सृष्टि आश्रम के परिसर में मौजूद रहे. मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्रा की मौजूदगी में प्रायश्चित और कर्म कुटी पूजन का अनुष्ठान संपन्न कराया गया था. अनुष्ठान में मूर्ति का निर्माण करने वाले अरुण योगीराज भी शामिल रहे. प्रतिदिन 21 जनवरी तक भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव से जुड़े धार्मिक अनुष्ठान अनवरत चलते रहेंगे. इन सभी अनुष्ठानों को संपन्न करने के लिए पूरे देश भर से 121 विद्वानों को आमंत्रित किया गया है. सभी विधि विधान काशी के विद्वान पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ और पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में हो रहे हैं.
बता दें कि प्रायश्चित और कर्म कुटी पूजन इसलिए किया जाता है क्योंकि जिस शिलाखंड से भगवान की प्रतिमा बनाई जाती है उस पर छेनी हथौड़ी से तमाम चोट किए जाते हैं. इसके बाद ही सुंदर प्रतिमा बनाकर तैयार होती है. आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार शिलाखंड को ही प्रभु का शरीर माना जाता है. इसी में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. ऐसे में प्रभु को पहुंचाई गई चोट को लेकर क्षमा मांगने के लिए प्रायश्चित पूजन और कर्म कुटी पूजन किया जाता है. इस अनुष्ठान में उस स्थान की भी पूजा होती है, जहां देव प्रतिमा का निर्माण किया जाता है.सभी अनुष्ठानों को संपन्न करने के लिए पूरे देश भर से 121 विद्वानों को आमंत्रित किया गया है. सभी विधि विधान काशी के विद्वान पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ और पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में हो रहे हैं.