नई दिल्ली :राकेश अस्थाना को 27 जुलाई को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की गई है. राकेश अस्थाना की सेवानिवृत्ति 31 जुलाई को निर्धारित की गई थी.
दरअसल, दिल्ली के नए कमिश्नर राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से महज 3 दिन पहले दिल्ली के पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक उनकी पोस्टिंग पर सवाल उठने लगे थे. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.
प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ में 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह कहा गया था कि यूपीएससी को विचार के क्षेत्र के भीतर के लोगों के बीच से नियुक्ति पर विचार करना चाहिए, जिन्होंने 2 साल की स्पष्ट सेवा प्राप्त की है.
"सभी संबंधितों द्वारा यह देखने का प्रयास किया जाना चाहिए कि सेवानिवृत्ति की तारीख पास होने के बावजूद, अस्थाना को पुलिस महानिदेशक के रूप में चुना गया और नियुक्त किया गया. हालांकि सेवानिवृत्ति की तारीख से आगे बढ़ाया गया कार्यकाल उचित अवधि होना चाहिए. यह ध्यान में लाया गया है कि कुछ राज्यों ने सेवानिवृत्ति की अंतिम तिथि पर पुलिस महानिदेशक को नियुक्त करने की प्रथा अपनाई है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अपनी सेवानिवृत्ति की तारीख के बाद दो साल तक सेवा देताा है.
अधिवक्ता एमएल शर्मा के माध्यम से दायर अवमानना याचिका में तर्क दिया गया है कि अस्थाना को उनकी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले नियुक्त करके, सरकार ने जानबूझकर अदालत के अधिकार को कम करने और न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है. शर्मा ने अस्थाना के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को भी उजागर किया.
उन्होंने पीएम और एचएम के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग के साथ ही राकेश अस्थाना की नियुक्ति को अवैध घोषित करने की मांग की.