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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 10, 2023, 10:35 PM IST

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Rajasthan High Court: रकबर खान मॉब लिंचिंग मामले में अभियुक्तों की सजा स्थगित करने से इनकार

अलवर के रकबर उर्फ अकबर मॉब लिंचिंग मामले में 7 साल की सजा काट रहे अभियुक्तों की सजा को राजस्थान हाईकोर्ट ने अपील के निस्तारण तक स्थगित करने से इनकार कर दिया है.

Rakbar Mob Lynching Case
रकबर खान मॉब लिंचिंग केस

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के रकबर उर्फ अकबर मॉब लिंचिंग मामले में 7 साल की सजा काट रहे अभियुक्तों की सजा को अपील के निस्तारण तक स्थगित करने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में अभियुक्तों की ओर से पेश प्रार्थना पत्रों को भी खारिज कर दिया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश नरेश कुमार व अन्य की ओर से दायर प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि गवाहों के बयानों और मोबाइल लोकेशन से साबित है कि अभियुक्त मॉब लिंचिंग में शामिल थे.

प्रार्थना पत्रों में कहा गया कि उन्हें मामले में आईपीसी की धारा 304 पार्ट प्रथम के तहत 7 साल की सजा मिली थी. इसके अलावा वे कई महीनों से जेल में बंद हैं. निचली अदालत ने उन्हें सिर्फ मोबाइल लोकेशन के आधार पर घटना में शामिल मानकर सजा सुनाई थी. जबकि वे स्थानीय गांव के निवासी हैं. ऐसे में उनकी मोबाइल लोकेशन वहां की आना स्वाभाविक है. घटना के दिन जब पुलिस मौके पर पहुंची तब तक रकबर जीवित और सही स्थिति में था.

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ऐसे में संभावना है कि वह पुलिस प्रताड़ना में मरा हो. ऐसे में अपील के निस्तारण तक उनकी सजा को स्थगित किया जाए. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता और पीड़ित पक्ष की ओर से अधिवक्ता सहबान नकवी ने कहा कि अभियुक्त को गैर इरादतन हत्या के लिए दंडित किया गया है. जबकि मामला हत्या का है. ऐसे में सजा बढ़ाने को लेकर भी अपील पेश की जा चुकी है. साक्ष्यों से साबित है कि अभियुक्त मॉब लिंचिंग में शामिल थे.

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दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्तों की सजा को स्थगित करने से इनकार कर दिया है. गौरतलब है कि 20 जुलाई, 2018 की रात जंगल से पैदल गाय ले जा रहे हरियाणा निवासी रकबर उर्फ अकबर और उसके साथ असलम से लोगों ने गौ-तस्करी का आरोप लगाते हुए मारपीट की थी. इस दौरान असलम मौके से भाग गया था, लेकिन रकबर घायल हो गया था. घायल रकबर को पुलिस अपने साथ ले गई थी. वहीं बाद में उसकी मौत हो गई थी. मामले में स्थानीय कोर्ट ने नरेश, परमजीत सिंह, धर्मेन्द्र और विजय कुमार को 7 साल की सजा सुनाई थी. जबकि एक अन्य नवल किशोर को बरी कर दिया था.

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