नई दिल्ली :राज्यसभा ने विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें नदियों में जहाजों की सुरक्षा, पंजीकरण एवं सुगम परिचालन सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किये गये हैं. लोकसभा में भी यह विधेयक हंगामे के बीच ही पारित हुआ था.
उच्च सदन में यह विधेयक पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने पेश किया. विधेयक पर हंगामे के बीच ही संक्षिप्त चर्चा हुई. चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नदी में परिचालन करने वाले जहाजों का पंजीकरण एवं परिचालन संबंधी व्यवस्था अभी भारतीय जहाज अधिनियम के दायरे में आती है. यह कानून 1917 में बनाया गया था और काफी पुराना हो गया है.
उन्होंने कहा कि उस समय सभी राज्यों के अपने-अपने नियमन थे. एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए मंजूरी लेनी पड़ती थी और इससे समस्या पैदा होती थी. ऐसे में जहाजों की सुरक्षा, पंजीकरण एवं सुगम परिचालन के उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है.
सोनोवाल ने कहा कि इस संबंध में 1917 का कानून अपर्याप्त था और इससे कई तरह की बाधाएं उत्पन्न होती थी . ऐसे में यह विधेयक लाया गया ताकि पारिस्थितिकी अनुकूल वातावरण में जल यातायात को बढ़ावा मिल सके .
मंत्री के जवाब के बाद उपसभापति हरिवंश ने उनसे विधेयक पारित करने के लिए प्रस्ताव पेश करने को कहा. मंत्री ने प्रस्ताव पेश किया जिसके बाद ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी गई.
इससे पहले , हंगामे के बीच विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के महेश पोद्दार ने कहा कि देश में बरसों से जलमार्ग से व्यापार होता रहा है लेकिन समय के साथ साथ पुराने कानूनों में बदलाव भी जरूरी है. पहले अंतर्देशीय कारोबार के लिए नावों का उपयोग होता था. आज इस क्षेत्र में संभावनाएं और बढ़ गई हैं.
बीजद के प्रसन्न आचार्य ने कहा 'यह कानून 100 साल से भी अधिक पुराना है. समय के साथ साथ चुनौतियों का रूप भी बदला है. इसलिए इस कानून में बदलाव की जरूरत थी. ओडिशा समुद्र तटीय प्रदेश है और प्राकृतिक खजाने की भी वहां कमी नहीं है. ऐसे में परिवहन के लिए जलयान कानून ओडिशा के लिए बहुत महत्व रखता है.'