नई दिल्ली : संसद में बजट सत्र के पांचवें दिन राज्य सभा में 15 प्राइवेट मेंबर बिल (निजी विधेयक) पेश किए गए. भाजपा के डॉ विनय पी सहस्रबुद्धे ने, देश में उपेक्षित पड़े राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न स्मारकों के रखरखाव के कार्यों में कार्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) की एक निश्चित राशि लगाये जाने के उद्देश्य से कंपनी (संशोधन) विधेयक 2019 में संशोधन से जुड़ा प्राइवेट मेंबर बिल वापस ले लिया. विनय सहस्रबुद्धे के प्राइवेट मेंबर बिल में प्रस्ताव किया गया था कि कंपनी अमेंडमेंट बिल 2019 का संशोधन कर कंपनियों पर कानूनी बाध्यता की व्यवस्था की जाए. जिसके तहत कंपनियों से सीएसआर मद में एक निश्चित राशि ली जा सके.
सहस्रबुद्धे ने अपने निजी विधेयक को यह कहते हुए वापस ले लिया कि वर्ष 2022-23 के लिए हाल ही में पेश किए गए बजट में भारतीय पुरातत्व सर्वे के लिए बजट बढ़ाया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है जिसके तहत भी ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं. बता दें कि सहस्रबुद्धे ने अपना यह निजी विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीन दिसंबर को उच्च सदन में पेश किया था. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार पर संरक्षित स्मारकों और हेरिटेज की अनदेखी जैसे गंंभीर आरोप लगाए.
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उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सदस्यों के निजी प्रस्तावों, निजी संकल्पों, निजी विधेयकों को पेश करने और उस पर चर्चा करने के बारे में फैसला सदन करता है और इसमें आसन की भूमिका नहीं होती. उन्होंने इस संबध में सदन में पहले विभिन्न अवसरों पर दी गई व्यवस्था का भी जिक्र किया.
उपसभापति ने यह व्यवस्था पिछले सत्र के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के जे अल्फोंस द्वारा संविधान की प्रस्तावना में बदलाव करने के मकसद से संविधान में संशोधन करने के लिए पेश किए गए निजी विधेयक पर राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य मनोज झा द्वारा व्यक्त की गई आपत्ति के संदर्भ में दी. उपसभापति ने कहा कि यह निजी विधेयक आज की कार्यसूची में सूचीबद्ध है. हालांकि जब निजी विधेयक पेश किए जा रहे थे तब अल्फोंस सदन में नहीं थे और उनका निजी विधेयक पेश नहीं हो पाया.
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