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अयोध्या मामले में फैसला सुनाना आसान नहीं था : रंजन गोगोई - Rajasthan hindi news

पूर्व सीजेआई और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने जयपुर में एक टॉक शो (Former CJI Ranjan Gogoi speak in talk show) में कहा कि अयोध्या मामले में फैसला सुनाना आसान नहीं था. इस मामले में कोई जज हाथ नहीं डालना चाहते थे.

Former CJI Ranjan Gogoi speak in talk show, Ranjan Gogoi in Jaipur talk shaow
पूर्व सीजेआई और राज्य सभा सांसद रंजन गोगोई

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Published : May 21, 2022, 11:33 PM IST

जयपुर. अयोध्या मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व सीजेआई और राज्य सभा सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि अयोध्या मामले (Former CJI Ranjan Gogoi speak in talk show) में फैसला सुनाना आसान नहीं था. इस मामले में कोई जज हाथ नहीं डालना चाहते थे. लेकिन एक सीमा के परे निर्णय मानवीय और विधि सम्मत होना जरूरी है. अयोध्या मामले के साथ संविधान में रेफरेंडम के लिए जगह नहीं होनी चाहिए.

दरअसल प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से एक निजी होटल में 'विधि, समाज और लोक विमर्श' विषय पर टॉक शो का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल कलराज मिश्र थे, जबकि मुख्य वक्ता पूर्व CJI और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई थे.

अयोध्या फैसले पर सवाल जवाबःपूर्व CJI और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई के साथ संवाद राजस्थान HC के अधिवक्ता रमन नंदा ने किया. उन्होंने संवाद के दौरान अयोध्या फैसले को अलग बताया. गोगोई ने कहा कि अयोध्या का फैसला अलग तरह का था. इस तरह के मामले के साथ संविधान में रेफरेंडम के लिए जगह नहीं होनी चाहिए. आज के आधुनिक जमाने में अयोध्या जैसा फैसला आने में वर्षों लगने के सवाल पर गोगोई ने कहा कि तकनीक और उम्मीदों से दबाव बढ़ता है , लेकिन एक सीमा के परे निर्णय मानवीय और विधि सम्मत होना जरूरी है और राजनीतिक तथा जनमत के दबाव में फैसले नहीं लिए जा सकते.

पूर्व सीजेआई और राज्य सभा सांसद रंजन गोगोई.

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20 साल तक शांत रहाः गोगोई जब अयोध्या मामले पर बोल रहे थे तो इसी बीच नंदा ने एक और सवाल कर दिया, लेकिन गोगोई ने कहा कि आज लंबे समय बाद बोलने का मौका मिला है. इसलिए बीच में मत रोको. मैं पहले ही 20 साल तक शांत रहा हूं . गोगोई ने कहा कि अयोध्या मामले में जो सवाल उठ रहे हैं और जो लोगों को भ्रम है वह वक्त के साथ दूर होंगे.

संविधान की मूलभवना में बदलाव नहींः गोगोई ने केशवानंद भारती केस का जिक्र करते हुए कहा कि इस सुनवाई में 13 जज शामिल थे और सभी ने करीब 5000 पेज का फैसला लिखा और तय किया कि संविधान की मूल ढांचे व भावना में बदलाव नहीं किया जा सकता. गोगोई ने कहा कि कोई भी लोकतंत्र के स्थान पर तानाशाही नहीं चाहता. न्यायपालिका निष्पक्ष रहे, यह हमारी उम्मीद रहती है. लोकतंत्र में न्यायपालिका या विधायिका कोई सुपीरियर नहीं है. संविधान में रेफरेंडम के लिए कोई जगह नहीं है इसलिए जनता के विचार से बदलाव भी नहीं हो सकते.

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