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राज्यसभा सदस्यों ने नौवहन के बेहतर प्रबंधन के लिए विभिन्न उपाय पर बल दिया

राज्यसभा में विभिन्न दलों ने चर्चा के दौरान नौवहन के क्षेत्र के विकास के लिए किए गए प्रावधान के साथ बेहतर प्रबंधन के लिए कानून सहित विभिन्न उपाय किए जाने का आवश्यकता पर जोर दिया.

राज्यसभा सदस्य
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Published : Jul 19, 2021, 8:25 PM IST

Updated : Aug 22, 2021, 7:37 AM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा में सोमवार को विभिन्न दलों ने नौवहन के क्षेत्र के बेहतर प्रबंधन के लिए कानून सहित विभिन्न उपाय किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया तथा लाइट हाउस का उपयोग कर पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल का स्वागत किया.

उच्च सदन में सदस्यों ने नौचालन के लिए सामुद्रिक सहायता विधेयक, 2021 (Marine Aids to Navigation Bill, 2021) पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही. विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्ष के कई सदस्य विभिन्न मुद्दों पर हंगामा कर रहे थे और कई सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी भी कर रहे थे.

हंगामे के बीच इस विधेयक को चर्चा एवं पारित कराने के लिए रखते हुए नौवहन, बंदरगाह एवं जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि इस विधेयक में नौवहन क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रावधान किए गये हैं. उन्होंने कहा कि पुराने लाइट हाउस कानून में सहायता के समुचित प्रावधान नहीं थे जिन्हें वर्तमान विधेयक में शामिल किया गया है. इस विधेयक में समुद्री नौवहन के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी बदलाव को ध्यान में रखते हुए पोत यातायात सेवाओं के लिये नया ढांचा तैयार करने एवं उनका प्रबंधन सुगम बनाने का प्रस्ताव किया गया है.

विधेयक के उद्देश्य एवं कारणों में कहा गया है कि समय-समय पर सामुद्रिक क्षेत्र में कई परिवर्तन हुए हैं और नौचालन के लिए सामुद्रिक सहायता के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का काफी विकास हुआ है. इसमें जलयान यातायात सेवा और नौचालन सहायता का विविधीकरण शामिल है जिसके अंतर्गत प्रकाश स्तम्भ और प्रकाश पोतों से भिन्न तकनीकी सहायता शामिल है. इसमें कहा गया है कि नौचालन के लिए सामुद्रिक सहायता की भूमिका 'रेडियो और डिजिटल' आधारित हो गई है.

चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल (बीजद) के सुभाष चंद्र सिंह, तेलुगू देशम पार्टी के कनकमेदला कुमार, टीआरएस के बांदा प्रकाश, टीएमसी (एम) जी के वासन आदि सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया. सदस्यों ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह एक व्यापक विधेयक है जिससे पुराने कानून में संशोधन एवं सुधार हो सकेगा. सदस्यों ने कहा कि प्राचीन साहित्य में भी लाइट हाउस का जिक्र मिलता है.

विधेयक की पृष्ठभूमि
सुरक्षित नौचालन के लिए भारत में प्रकाश स्तम्भ एवं दीपक का प्रशासन एवं प्रबंधन प्रकाश स्तम्भ अधिनियम, 1927 द्वारा प्रशासित है. प्रकाश स्तम्भ अधिनियम 1927 के अधिनियमन के समय, तत्कालीन ब्रिटिश भारत में केवल 32 प्रकाश स्तम्भ थे, जो कि छह क्षेत्रों - अदन, कराची, बम्बई, मद्रास, कलकत्ता और रंगून - में फैले हुए थे.

आजादी के बाद, 17 प्रकाश स्तम्भ भारत के प्रशासनिक नियंत्रण में आए. इनकी संख्या अब नौवहन उद्योग की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए कई गुना बढ़ गई हैं. वर्तमान में, उक्त अधिनियम के तहत 195 प्रकाश स्तम्भ और नौचालन के लिए कई उन्नत रेडियो और डिजिटल सहायता संचालित हैं.

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जैसे-जैसे तकनीक विकसित हुई, रडार और अन्य सेंसर की मदद से एक प्रणाली स्थापित की गई, तट से जहाजों को उनकी स्थिति के बारे में सलाह दी गई और इस तरह पोत परिवहन सेवाएं (वेसल ट्रैफिक सर्विसेज (वीटीएस)) अस्तित्व में आई और उसे व्यापक स्वीकार्यता मिली. समुद्री नौवहन प्रणालियों के इन आधुनिक, तकनीकी रूप से बेहतर सहायता ने उन सेवाओं के स्वरूप को एक 'निष्क्रिय' सेवा से 'निष्क्रिय और साथ ही संवादात्मक' सेवा में बदल दिया है.

वैश्विक स्तर पर इन प्रकाश स्तम्भों को दर्शनीय स्थल, विशिष्ट वास्तुकला एवं धरोहर मूल्य की दृष्टि से एक प्रमुख पर्यटक केन्द्र के रूप में भी पहचान मिली है.

विधेयक पारित करने के बाद मिलने वाले लाभ:

यह नया अधिनियम भारतीय तटीय सीमा के अंतर्गत समुद्री नौचालन के लिए सहायता और पोत परिवहन सेवाओं के लिए व्यवस्थित और प्रभावी कामकाज की सुविधा प्रदान करेगा. इसके लाभों में शामिल हैं-

  • इसमें नौचालन के लिए सहायता एवं पोत परिवहन सेवाओं से संबद्ध मामलों के लिए बेहतर कानूनी ढांचा और समुद्री नौचालन के क्षेत्र में भावी विकास शामिल है.
  • नौवहन की सुरक्षा एवं दक्षता बढ़ाने और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पोत परिवहन सेवाओं का प्रबंधन.
  • अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप 'नौचालन के लिए सहायता' और पोत परिवहन सेवाओं के ऑपरेटरों के लिए प्रशिक्षण और प्रमाणन के माध्यम से कौशल विकास.
  • वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण और प्रमाणन की जरूरतों को पूरा करने के लिए संबद्ध संस्थानों की लेखा परीक्षा और प्रत्यायन.
  • सुरक्षित और प्रभावी नौचालन के उद्देश्य से डूबे हुए/फंसे हुए जहाजों की पहचान करने के लिए सामान्य जल में 'मलबे' चिन्हित करना.
  • शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन के उद्देश्य से प्रकाश स्तम्भों का विकास, जोकि तटीय क्षेत्रों की पर्यटन क्षमता का दोहन करते हुए उनकी अर्थव्यवस्था में योगदान देगा.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Aug 22, 2021, 7:37 AM IST

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