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'बजट में 'गरीब' शब्द केवल दो बार, साल में 12 लाख को रोजगार, तो बाकी क्या पकौड़े तलेंगे'

राज्य सभा में पीएम मोदी के वक्तव्य के बाद आम बजट 2022 (union budget 2022) पर विस्तार से चर्चा की गई. कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम (chidambaram union budget) ने चर्चा की शुरुआत की. चिदंबरम के अलावा भाजपा के अरुण सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने भी आम बजट पर चर्चा में भाग लिया.

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राज्य सभा

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Published : Feb 8, 2022, 6:46 PM IST

Updated : Feb 8, 2022, 7:51 PM IST

नई दिल्ली :आम बजट पर सामान्य चर्चा (union budget 2022) के दौरान राज्य सभा में मंगलवार को विपक्षी दलों के नेताओं ने रोजगार के अवसर और गरीबों के कल्याण के लिए कोई घोषणा नहीं करने का आरोप लगाया. विपक्षी दलों के सांसदों ने केंद्र सरकार को आगाह किया कि वह भले ही गरीबों को भूल गयी हो किंतु लोग उसे नहीं भूलेंगे क्योंकि गरीबों की स्मृति बहुत लंबी होती है. वहीं, सत्ता पक्ष ने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बजट में गांव, गरीब और किसान सहित समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए घोषणाएं की गयी हैं.

राज्य सभा में चिदंबरम का बयान

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट पर चर्चा शुरू करते कहा कि कांग्रेस को धन्यवाद दिया जाना चाहिए जिसके कारण वह राज्य सभा में बोल पा रहे हैं अन्यथा भारत सरकार के 1919 के कानून के अनुसार इसे 'काउंसिल ऑफ प्रिसेंस' कहा जाता.

चिदंबरम ने कहा, 'वह टुकड़े टुकड़े गैंग के सदस्य हैं...मैं इससे निराश नहीं हूं. इसी संसद में प्रश्न किया गया था कि टुकड़े टुकड़े गैंग के कौन कौन सदस्य हैं? माननीय मंत्री ने कहा कि हमारे पास टुकड़े टुकड़े गैंग के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.' उन्होंने कहा कि 31 जनवरी 2021 को 8,72,243 सरकारी पद रिक्त थे और 'सर्वशक्तिमान भारत सरकार ने 78,264 पदों को भरा एवं करीब आठ लाख पदों को खाली रहने दिया गया.'

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, नदियों में बहने वाले शवों के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, कितने प्रवासी अपने घरों तक पैदल चल कर गये, इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जो काम 2022 में किया जाना था.

आंकड़े न बताने पर एनडीए पर कटाक्ष
चिदंबरम ने एनडीए सरकार पर कटाक्ष किया और कहा, यह सरकार 'नो डाटा एवेलेबल (NDA-कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है) है.' उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में वित्त मंत्री ने 6.8 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा होने का अनुमान व्यक्त किया था. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को इसके लिए उन्होंने आगाह भी किया था, किंतु वित्त मंत्री ने तब कहा था कि हम इससे बेहतर करेंगे. चिदंबरम ने कहा कि वास्तव में यह 6.9 प्रतिशत रहा.

चिदंबरम ने कहा कि विनिवेश के लिए एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया था. उन्होंने कहा कि वह सरकार के आभारी हैं कि इस लक्ष्य में मात्र 75 हजार करोड़ रुपये ही एकत्र किए गए. उन्होंने कहा कि 2021-22 के बजट अनुमान में 5,54,236 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय रहने की बात कही गयी थी. उन्होंने कहा कि पूजीगत व्यय से विकास को गति मिलेगी. उन्होंने कहा कि संशोधित अनुमान एक सुखद आश्चर्य के रूप में आया जिसमें इसे बढ़ाकर 6,02,711 करोड़ रुपये बताया गया. उन्होंने कहा कि इसमें एअर इंडिया के एकबारगी रिण भुगतान के लिए दी गयी 51,971 करोड़ राशि शामिल थी.

सरकार बताए- कितनी नौकरियों का सृजन हुआ ?
उन्होंने सवाल किया कि एअर इंडिया को दी गयी राशि पूंजीगत व्यय कैसे हो सकती है? उन्होंने सरकार के पूर्व बजट में कुछ ट्रेनों के निजीकरण सहित कई घोषणाओं पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि इन संबंध में कुछ नहीं किया गया. पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि उनकी पार्टी की नीति तीन डब्ल्यू पर आधारित हैं अर्थात वर्क (कार्य), वेलफेयर, (कल्याण) और वेल्थ (संपत्ति). उन्होंने कहा कि हम संपत्ति के निर्माण के विरुद्ध नहीं हैं किंतु वर्क यानी नौकरियां भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था और सरकार को हमें (संसद) को यह बताना चाहिए कि कितनी नौकरियां सृजित की गयी?

12 लाख लोगों को रोजगार तो बाकी क्या पकौड़े तलेंगे ?
कांग्रेस नेता ने कहा कि बजट भाषण में गति शक्ति के जरिये पांच साल में 60 लाख रोजगार सृजित करने की बात की गयी है यानी एक वर्ष में 12 लाख. उन्होंने कहा कि देश में हर वर्ष कार्य बल में 49.5 लाख लोग नये जुड़ जाते हैं. उन्होंने पूछा कि यदि केवल 12 लाख लोगों को रोजगार मिलेंगे तो बाकी लोग क्या 'पकौड़े तलेंगे?' उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े देते हुए कहा कि सरकार विकास की तेज रफ्तार की बात कर रही है किंतु आंकड़े देखकर सवाल उठता है कि देश का विकास क्या वहीं पहुंचने के लिए हो रहा है जहां से हमने शुरू किया था.

लगातार बढ़ रही अरबपतियों की संपत्ति
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि दो साल में देश ने लाखों नौकरियां गंवायी और 60 लाख एमएसएमई बंद हुए. उन्होंने कहा कि परिवारों की आय और प्रति व्यक्ति आय में कमी आयी है. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम एवं अन्य वस्तुओं पर सब्सिडी घटा दी गयी. उन्होंने कहा कि कल्याण को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया, काम दिया नहीं जा रहा है और सरकार संपत्ति बनाने की बात करती है. उन्होंने कहा कि यह संपत्ति किसके लिए बनायी जा रही है, उन चंद अरबपतियों के लिए जिनकी संपत्ति लगातार बढ़ती ही जा रही है.

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गरीबों की स्मृति लंबी होती है
चिदंबरम ने कहा, 'यह सरकार गरीबों को भूल गयी है. बजट में केवल दो बार गरीब शब्द का इस्तेमाल किया गया. नौकरी शब्द का इस्तेमाल केवल तीन बार किया गया. एक नाम छह बार लिया गया और मैं वित्त मंत्री को बधाई देते हूं कि वह अपने प्रधानमंत्री के प्रति निष्ठावान रहीं.' उन्होंने सरकार को आगाह किया, 'आप गरीबों को भूल गये किंतु गरीब आपको नहीं भूलेंगे उनकी स्मृति बहुत लंबी होती है.

पूर्व प्रधानमंत्री ने उठाई शहरी पेयजल की समस्या
चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एवं जनता दल (एस) के वरिष्ठ नेता एच डी देवेगौड़ा ने अपनी बात को अधिकतर नदियों को आपस में जोड़ने की योजना तक ही सीमित रखा. उन्होंने कहा कि कर्नाटक एक ऐसा राज्य है जो पेयजल के मामले में सबसे बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. उन्होंने बेंगलुरु शहर की पेयजल की समस्या को उठाते हुए कहा कि इस पर तुरंत विचार किया जाना चाहिए.

केंद्र सरकार का पक्ष
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के अरूण सिंह ने कहा कि संसद में पेश बजट समावेशी है और इसमें आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की छाप भी है. उन्होंने कहा कि यह नये भारत के निर्माण के संकल्प की ओर अग्रसर भी है. बजट में गरीबों के लिए कुछ नहीं किए जाने संबंधी चिदंबरम की टिप्पणी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पूरा बजट और पूरी मोदी सरकार गरीबों के प्रति समर्पित है. उन्होंने कहा कि आज देश का गांव, गरीब और किसान प्रधानमंत्री को अपने मसीहा के रूप में देखता है.

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उन्होंने कहा कि यह रोजगारपरक बजट है और युवाओं की आशाओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के गरीबों को कोविड महामारी के कारण पांच किलोग्राम अनाज देने की जो पहल शुरू की थी वह पिछले 19 महीने से लगातार चल रही है. अरुण सिंह ने प्रधानमंत्री आवास योजना, नल से पेयजल आपूर्ति सहित सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिये हो रहे विकास के आंकड़े देते हुए कहा कि कुछ राज्य इन योजनाओं को लागू करने में धीमी गति से काम कर रहे हैं.

Last Updated : Feb 8, 2022, 7:51 PM IST

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