नई दिल्ली : राज्य सभा की 57 सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है. इसके साथ ही सांसदों के इस्तीफे की वजह से तेलंगाना की एक सीट पर 30 मई और ओडिशा की एक राज्यसभा सीट पर 13 जून को उपचुनाव होना है. इस तरह से कुल मिलाकर देखा जाए तो 15 राज्यों में राज्यसभा की 59 सीटों पर आने वाले दिनों में मतदान होना है.
इन 59 सीटों में से भाजपा का वर्तमान में 25 सीटों पर कब्जा है जबकि उसके सहयोगी दलों की बात करें तो पिछली बार जेडीयू के खाते में 2 और एआईएडीएमके के खाते में 3 सीटें आई थी. एक निर्दलीय सांसद को जोड़ लिया जाए तो वर्तमान में इन 59 सीटों में से 31 एनडीए के पास है. इस बार के चुनाव में इन 31 सीटों को बचाना एनडीए के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि विधानसभाओं का गणित यह बता रहा है कि इस बार एनडीए को 7 से 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
वहीं यूपीए की बात करें तो, कांग्रेस के 8, डीएमके के 3, शिवसेना और एनसीपी के एक-एक सांसदों को मिलाकर इसकी कुल संख्या 13 तक पहुंचती है. इस बार के राज्यसभा चुनाव में यूपीए को 2 से 4 सीटों का फायदा होता नजर आ रहा है.
अन्य दलों की बात करें तो इन 59 सीटों में वर्तमान में सपा के पास 3, बीजेडी के पास 4, बसपा के पास 2 और टीआरएस के पास 3 सांसद हैं जबकि वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल और आरजेडी इन तीनों दलों के पास 1-1 सांसद हैं. इस तरह से वर्तमान में अन्य दलों का आंकड़ा 15 तक पहुंच रहा है. इस बार होने वाले राज्यसभा चुनावों में अन्य दलों को 3 सीटों का फायदा मिलने की उम्मीद है.
राज्यवार चुनावी जीत की संभावनाओं को देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में इस बार 11 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन का खामियाजा इस बार के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा को भुगतना पड़ेगा. बसपा के पास वर्तमान में 2 और कांग्रेस के पास 1 सीट थी लेकिन इस बार इन तीनों सीटों में से 2 भाजपा के पास जा सकती है. इस तरह से 2 सीटों के फायदे के साथ भाजपा अपने 7 उम्मीदवारों को इस बार राज्यसभा भेज सकती है. वहीं सपा के खाते में पहले की तरह ही 3 सीटें आने की ही संभावना है. बची हुई 11वीं सीट के लिए भाजपा और सपा में रस्सा-कस्सी होनी है लेकिन भाजपा के आक्रामक अंदाज और बेहतर रणनीति को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह 8वीं सीट भी उसके खाते में जा सकती है.
महाराष्ट्र से राज्यसभा के 6 सदस्यों को चुना जाना है. इनमें से 3 सीटें भाजपा के पास है जबकि महाराष्ट्र में मिलकर सरकार चला रहे शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस तीनों के पास 1-1 सीट है. संख्या बल के आधार पर इस बार महाराष्ट्र में भाजपा को एक सीट का नुकसान हो सकता है. भाजपा के उम्मीदवार 2 सीट पर जीत हासिल कर सकते हैं. शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस तीनों ने आपसी तालमेल कर चुनाव लड़ा तो कुछ निर्दलीय विधायकों को साध लेकर वो 4 सीटों पर जीत हासिल कर एक सीट के फायदे में रह सकते हैं.
तमिलनाडु में राज्यसभा की जिन 6 सीटों पर चुनाव होना है उसमें से डीएमके और एआईएडीएमके दोनों ही दलों का फिलहाल 3-3 सीटों पर कब्जा है. लेकिन इस बार राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके को 1 सीट का फायदा हो सकता है. विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर डीएमके के 4 उम्मीदवार चुनाव जीत सकते हैं तो वहीं एआईएडीएमके इस बार एक सीट के नुकसान के साथ केवल 2 सांसदों को ही राज्य सभा में भेजने की स्थिति में है.
संख्या बल के आधार पर बिहार में एनडीए को एक सीट का नुकसान होने जा रहा है. भाजपा पहले की तरह आराम से अपने 2 उम्मीदवारों को इस बार भी राज्यसभा भेज सकती है लेकिन उसकी सहयोगी जेडीयू कम विधायक होने के कारण इस बार केवल एक उम्मीदवार को ही जिताने की स्थिति में है. आरजेडी एक सीट के फायदे के साथ इस बार 2 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है.
भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान इस बार आंध्र प्रदेश में होने जा रहा है. आंध्र प्रदेश में जिन 4 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है उसमें से तीन अभी भाजपा के खाते में है लेकिन विधानसभा की सदस्य संख्या के आधार पर इस बार इन चारों सीटों पर वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार जीत हासिल कर सकते हैं.
कर्नाटक विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर इस बार भी भाजपा पिछली बार की तरह अपने 2 उम्मीदवारों को राज्य सभा भेज सकती है. वहीं कांग्रेस का सिर्फ 1 उम्मीदवार ही आराम से चुनाव जीत सकता है. चौथी सीट के लिए भाजपा, कांग्रेस और जेडी (एस), किसी के पास भी पर्याप्त विधायक नहीं है. इसलिए यह चौथी सीट किसके खाते में जाएगी, इसके लिए अंत तक इंतजार करना पड़ेगा.
राजस्थान में इस बार राज्य सभा के लिए जिन 4 सीटों पर चुनाव होना है. उन चारों पर वर्तमान में भाजपा का ही कब्जा है लेकिन इस बार अशोक गहलोत की तैयारी को देखते हुए भाजपा को 3 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है. विधायकों की संख्या के आधार पर भाजपा का 1 और कांग्रेस का 2 उम्मीदवार जीतना तय है लेकिन निर्दलीय विधायकों के बल पर कांग्रेस राजस्थान में तीसरी सीट भी जीत सकती है.