जम्मू/नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को राजौरी जिले के डांगरी गांव में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की और मारे गए प्रत्येक नागरिक के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की. मनोज सिन्हा ने डांगरी गांव पहुंचकर कहा कि इस घटना में मारे गए और घायल हुए लोगों के परिवारों को न्याय मिलेगा. इससे पहले रविवार शाम गांव में हुए एक आतंकी हमले में कम से कम चार नागरिक मारे गए और छह अन्य घायल हो गए. एलजी के कार्यालय ने ट्वीट किया, 'मैं राजौरी में कायरतापूर्ण आतंकी हमले की कड़ी निंदा करता हूं. मैं लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि इस घृणित हमले के पीछे जो लोग हैं उन्हें सख्त सजा मिलेगी. मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं.'
उन्होंने आगे ट्वीट में कहा, 'नृशंस हमले में शहीद हुए प्रत्येक नागरिक के परिजनों को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और एक सरकारी नौकरी दी जाएगी. गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख रुपये दिए जाएंगे. अधिकारियों को घायलों का बेहतर इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है.
भाजपा के आतंकवाद खत्म करने दावे 'फर्जी' : महबूबा
वहीं, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने के दावों को "फर्जी" करार दिया. उन्होंने ट्वीट किया, "इस कायरतापूर्ण कृत्य की निंदा करें और उनके परिवारों के प्रति संवेदनाएं. भाजपा के शासन में होने और उग्रवाद को समाप्त करने के उसके फर्जी दावों के बावजूद, हिंसा बेरोकटोक जारी है. अगर जम्मू-कश्मीर की अपनी चुनी हुई सरकार होती, तो वही मीडिया उन्हें आग के हवाले कर देता.'
फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, सज्जाद गनी लोन ने आतंकी हमले की निन्दा की
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने राजौरी में नागरिकों की मौत को दुखद और बर्बर बताते हुए कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों की हत्या हो या राजौरी के निर्दोष लोगों की, उग्रवाद कम नहीं बल्कि बढ़ रहा है. बिना नाम लिए फारूक अब्दुल्ला ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वे दावा कर रहे थे कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर में शांति स्थापित होगी, क्योंकि उनके अनुसार, सैन्यवाद की स्थापना केवल इसलिए हुई थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक इस समस्या का समाधान नहीं निकलेगा तब तक चैन नहीं आएगा. ऐसी घटनाओं को पूरी तरह से रोकने के लिए समस्या की जड़ तक जाना जरूरी है. यह देखना जरूरी है कि ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं, जिनके इशारे पर इन्हीं लोगों की चर्चा हो तो शांति स्थापित हो सकती है. फारूक अब्दुल्ला ने नागरिक मौतों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की और गृह मंत्री से मामले पर गंभीरता से विचार करने की अपील की.