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आतंकवाद-कट्टरपंथ दुनिया की सुरक्षा व शांति के लिए खतरा : राजनाथ सिंह - Rajnath Singh

आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ दुनिया की सुरक्षा और शांति के लिए खतरा हैं. भारत विश्वास करता है कि सिर्फ सामूहिक सहयोग से ही आतंकी संगठनों और उनके नेटवर्क को पूरी तरह नष्ट किया जा सकता है.

राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह

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Published : Jun 16, 2021, 8:53 AM IST

Updated : Jun 16, 2021, 2:09 PM IST

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 'आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग प्लस' (एडीएमएम प्लस) को संबोधित किया और आतंकवाद व समुद्री सुरक्षा चुनौतियों पर भारत की चिंताओं को भी रेखांकित किया. उन्होंने अहम समुद्री मार्गों में चीन के आक्रामक व्यवहार का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों ने इस क्षेत्र में ध्यान आकर्षित किया.

सिंह ने देशों की क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुत्ता, संवाद के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान तथा अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों के अनुपालन के आधार पर इस क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने का आह्वान किया.

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर से अभी उबर रहा है, जिसने देश की चिकित्सा प्रतिक्रिया को सीमित कर दिया और उन्होंने पेटेंट मुक्त टीके उपलब्ध कराने, अबाधित आपूर्ति श्रृंखला और महामारी को हराने में चिकित्सा क्षमताएं बढ़ाने के लिए समन्वित वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया.

उन्होंने पाकिस्तान का प्रत्यक्ष रूप से जिक्र किए बिना आतंकवाद को बढ़ावा देने, उसका समर्थन और वित्त पोषण करने तथा आतंकवादियों को शरण देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा, आतंकवाद और कट्टरता दुनिया के सामने शांति तथा सुरक्षा के लिए आज सबसे गंभीर खतरा है. उन्होंने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के सदस्य के तौर पर भारत वित्तीय आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है.

रक्षा मंत्री ने कहा, भारत आतंकवाद के बारे में वैश्विक चिंताएं साझा करता है और यह मानता है कि जब आतंकवादियों के बीच गठजोड़ चिंताजनक स्थिति तक पहुंच रहा है तो केवल सामूहिक सहयोग से ही आतंकी संगठन और उनके नेटवर्कों को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकता है, दोषियों की पहचान की जा सकती है और उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

सिंह ने कहा, भारत ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रचार के लिए बदलते दृष्टिकोणों और मूल्यों के आधार पर हिंद-प्रशांत में सहयोगी भागीदारी मजबूत की है. आसियान की केंद्रीयता के आधार पर भारत ने हिंद-प्रशांत के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण के क्रियान्वयन के वास्ते महत्वपूर्ण मंच के तौर पर आसियान के नेतृत्व वाले तंत्रों के इस्तेमाल का समर्थन किया है.

बेरोकटोक व्यापार की आजादी का समर्थन
उन्होंने कहा कि संचार के समुद्री मार्ग हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास के लिए अहम हैं. उन्होंने कहा, समुद्री सुरक्षा चुनौतियां भारत के लिए चिंता का एक अन्य सबब है. इस संबंध में दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों ने क्षेत्र में तथा इससे आगे ध्यान आकर्षित किया है. भारत इन अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों में नौवहन, समुद्री क्षेत्रों पर उड़ान भरने और बेरोकटोक व्यापार की आजादी का समर्थन करता है.

सिंह ने कहा, भारत उम्मीद करता है कि आचार संहिता पर बातचीत के नतीजे निकलेंगे जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार होंगे और उन देशों के वैध अधिकारों तथा हितों का उल्लंघन नहीं करेंगे जो इन बातचीत का हिस्सा नहीं हैं.

चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताता है जो हाइड्रोकार्बन का बड़ा स्रोत है. वियतनाम, फिलीपीन और ब्रूनेई समेत आसियान के कई सदस्य देश भी ऐसा ही दावा जताते हैं.

सिंह ने आसियान के साथ भारत के गहरे संबंध पर भी बात की और कहा कि नई दिल्ली क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में समूह की केंद्रीयता को महत्ता देता रहा है. उन्होंने साइबर हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि रैंसमवेयर, वानाक्राई हमलों और क्रिप्टो मुद्रा चोरी की घटनाओं से ये बड़े पैमाने पर दिखाई देते हैं और यह चिंता की बात है.

उन्होंने कहा कि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी व्यवस्था का आह्वान करता है जो राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित हो और विवादों का समाधान अंतर्राष्ट्रीय नियमों और कानूनों के माध्यम से बातचीत से शांतिपूर्वक हो.

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राजनाथ सिंह ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के साथ भारत का जुड़ाव नवंबर 2014 में पीएम मोदी द्वारा घोषित 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' पर आधारित है. इस नीति के महत्वपूर्ण तत्व आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक संबंध बढ़ाना और इंडो पैसिफिक क्षेत्र के देशों के साथ रणनितिक संबंध स्थापित करना है.

'वसुधैव कुटुंबकम' भारत की अवधारणा
उन्होंने कहा कि भारत की अवधारणा 'वसुधैव कुटुंबकम' है. पूरी दुनिया एक परिवार है. ये और प्रासंगिक हो गई है. वर्तमान क्षेत्रिय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा माहौल को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के सामने नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं.

एडीएमएम-प्लस मंच में आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का समूह) के सदस्य 10 देश और और उसके आठ संवाद साझेदार- भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणतंत्र, रूस और अमेरिका शामिल हैं. एडीडीएम प्लस की पहली बैठक 2010 में हनोई में हुई थी.

Last Updated : Jun 16, 2021, 2:09 PM IST

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