नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के सबसे वरिष्ठतम सदस्य 106 वर्षीय भुलई भाई से नई दिल्ली स्थित उत्तर प्रदेश सदन में मुलाकात की. राजनाथ सिंह उस समय भावुक हो गए. भाजपा के वरिष्ठ सदस्य ने इसे 'कृष्ण और सुदामा' का मिलन बताया. भुलई भाई विधायक भी रह चुके हैं.
दरअसल, नारायण उर्फ भुलई भाई ने खुद ही राजनाथ सिंह से मुलाकात का वक्त मांगा था. इसकी जानकारी मिलते ही सिंह खुद ही उनसे मिलने आ गए. उत्तर प्रदेश सदन में मुलाकात के दौरान नारायण ने सिंह से कहा, 'आपसे मिलकर मैं युवा और तरोताजा महसूस कर रहा हूं.'
भाजपा के वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि यह भगवान कृष्ण के सुदामा से मिलने जैसा है. वह पार्टी और इसके पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ से 70 वर्षों से जुड़े हुए हैं. पूर्व विधायक नारायण जनसंघ के दिनों में सक्रिय राजनीति में थे.
भुलई भाई ने कहा कि जैसे कृष्ण जी सुदामा से मिले थे, वही भाव रहा. राजनाथ जी का प्यार, आशीर्वाद मिल गया. उनका मिलने का भाव बहुत उत्तम था. मैंने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया, उन्होंने कहा ज़रूर आएंगे. वह अपने पुराने साथी से मिलकर बेहद भावुक और खुश नजर आ रहे थे.
राजनाथ सिंह और भुलई भाई की मुलाकात नारायण का राजनाथ सिंह से 1977 से जुड़ाव रहा है, जब दोनों उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य थे और उन्होंने भाजपा के विचारकों दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ भी काम किया है. नारायण ने सिंह से मिलने का वक्त मांगा था, जब रक्षा मंत्री को इस बारे में पता चला तो वह राष्ट्रीय राजधानी में स्थित उत्तर प्रदेश सदन गए और भाजपा के सबसे वयोवृद्ध सदस्य से मुलाकात की.
सिंह ने नारायण को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और उन्हें धोती-कुर्ता उपहार में दिया. सिंह ने मुलाकात के बाद ट्वीट किया, 'विजयदशमी की पूर्व संध्या पर 106 वर्षीय नारायण जी 'भूलई भाई' से मुलाकात का सुखद अनुभव रहा, जो उत्तर प्रदेश में जनसंघ के विधायक थे और वर्तमान में देश में पार्टी के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं. उनकी सादगी बहुत ही प्रेरक है. मैं मां दुर्गा से उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं.'
राजनाथ सिंह और भुलई भाई की प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले वर्ष अप्रैल में कोविड-19 महामारी की पहली लहर में भूलई भाई को फोन किया था और उनसे आशीर्वाद लिया था.
भुलई भाई उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के रहने वाले हैं. उनके गांव का नाम छपरा है. यह कप्तानगंज तहसील में पड़ता है. 1974 और 1977 में वह दो बार विधायक रह चुके हैं. कुशीनगर की नेबुआ नौरंगिया सीट से जनसंघ पार्टी के टिकट पर वह विजयी हुए थे. एक नवंबर को वह 107 साल के हो जाएंगे.