नई दिल्ली :रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज बीआरओ द्वारा निर्मित 27 परियोजनाओं का उद्घाटन किया. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में परियोजनाओं का उद्घाटन किया. ई-उद्घाटन के बाद राजनाथ सिंह ने कहा, आज के दौर में दूरी किलोमीटर में नहीं घंटों में मापी जाती है. बीआरओ की सड़कों, सुरंगों और पुलों ने आज स्थानों के बीच की दूरी और समय को कम कर दिया है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि दक्षिणी लद्दाख में उमलिंग-ला दर्रे पर 19000 फीट की ऊंचाई पर बनी सड़क अब दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड बन गई है. उन्होंने कहा कि यह सड़क न केवल सशस्त्र बलों के तेजी से प्रेषण की सुविधा प्रदान करेगी बल्कि क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देगी.
दरअसल, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर सैनिकों की तेज आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है. बीआरओ ने चार राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में 24 पुलों और तीन सड़कों का निर्माण किया है. राजनाथ सिंह ने जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया है, इनमें देश के उत्तरी क्षेत्र से लगती सीमाओं से लेकर पूर्वी छोर पर लगने वाली सीमा भी शामिल है.
मुख्य आकर्षण भारत के पहले स्वदेशी क्लास 70 - 140 फीट डबल-लेन मॉड्यूलर ब्रिज का उद्घाटन है - जो फ्लैग हिल डोकला, सिक्किम में 11,000 फीट की ऊंचाई पर और उमलिंग ला पास में चिसुमले-डेमचोक रोड पर लद्दाख में 19,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर बनाया गया है. लद्दाख दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड (गाड़ियों की आवाजाही योग्य सड़क) का गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड भी रखता है.
33 किलोमीटर की फ्लैग हिल-डोकला सड़क भारतीय सैनिकों के लिए डोकलाम पठार के पास डोकला क्षेत्र तक पहुंचने के लिए यात्रा के समय को कम कर देगी, जहां 2017 में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 73 दिनों का गतिरोध हुआ था. यह भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन के पास सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग है जहां चीन आक्रामक रूप से सैन्य बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है.
इससे पहले, 2018 में भीम बेस से डोकला के लिए सिर्फ एक मार्ग पूरा हुआ था. चिसुमले को डेमचोक से जोड़ने वाली 52 किमी लंबी सड़क 19,300 फीट की ऊंचाई पर उमलिंग ला (पास) के माध्यम से लेह से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेमचोक के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है.
राजनाथ सिंह ने उद्घाटन को सीमावर्ती क्षेत्रों की प्रगति के लिए बीआरओ की प्रतिबद्धता का 'प्रतिबिंब' करार दिया और विश्वास व्यक्त किया कि ये निर्माण कार्य एक नए भारत के विकास में एक लंबा सफर तय करेंगे. उन्होंने कहा कि उमलिंग-ला र्दे की सड़क से सशस्त्र बलों की आवाजाही तेज होगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा.
उन्होंने कहा, 'सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें सामरिक जरूरतों को पूरा करती हैं और देश के विकास में दूरदराज के क्षेत्रों की समान भागीदारी सुनिश्चित करती हैं.' उन्होंने शून्य से नीचे के तापमान और ऊंचाई की चुनौतियों के बावजूद इस उपलब्धि को हासिल करने में अपनी दृढ़ता के लिए बीआरओ की सराहना की.
'आत्मनिर्भर भारत' का एक चमकदार उदाहरण
सिंह ने स्वदेशी डबल-लेन मॉड्यूलर ब्रिज को 'आत्मनिर्भर भारत' का एक चमकदार उदाहरण बताया और इस तथ्य की सराहना की कि इसे बहुत कम लागत पर विकसित किया गया है और जरूरत पड़ने पर इसे तोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा, 'यह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित 'मेक इन इंडिया' को प्राप्त करने के मार्ग पर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. यह सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से संपर्क प्रदान करने के सरकार के संकल्प का प्रतीक है. यह ऐसे क्षेत्रों में और अधिक पुलों के निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त करेगा'
रिकॉर्ड समय में निर्माण