गुवाहाटी: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Union Defense Minister Rajnath Singh) ने शनिवार को कहा कि जरूरत पड़ने पर भारतीय सशस्त्र बल (Indian Armed Forces) सीमा पार जाकर उन आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जो भारत के दुश्मन हैं. गुवाहाटी में 1971 के युद्धवीरों के सम्मान समारोह में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सरकार का दृढ़ निर्णय है कि भारतीय सशस्त्र बल देश के खिलाफ काम कर रहे सक्रिय आतंकवादियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए सीमा पार भी चले जाएंगे.
सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम 1958 (अफस्पा) का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अधिनियम हाल ही में असम के 23 जिलों और मणिपुर और नागालैंड के 15 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र से हटा लिया गया है क्योंकि इन क्षेत्रों में स्थितियों में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारी सेना जम्मू-कश्मीर में भी अफस्पा नहीं रखना चाहती है. लेकिन स्थिति ने जम्मू-कश्मीर में अधिनियम को लागू करने के लिए मजबूर किया है. जब भी स्थिति में सुधार होगा, जम्मू-कश्मीर से अफस्पा वापस ले लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सेना, देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए नहीं है. यह अन्य सुरक्षा बलों और राज्य पुलिस की जिम्मेदारी है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर सेना को आंतरिक सुरक्षा से हटाया जा सके तो वे सीमाओं पर देश की बाहरी सुरक्षा से अधिक प्रभावी ढंग से निपटेगी. भारतीय सेना की ताकत, समर्पण और भावना अविश्वसनीय है. 15 लाख भारतीय सशस्त्र बल के जवानों के समर्पण और साहस के कारण भारत माता का मस्तक कभी भी नीचे नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह देश के लिए बहुत गर्व की अनुभूति है कि वर्तमान में पूर्वोत्तर क्षेत्र में 38000 से 40000 सेवानिवृत्त सैनिक हैं.
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सिंह ने कहा कि भारत को रक्षा उपकरणों में आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत पिछले कुछ वर्षों में रक्षा उपकरणों के निर्यात में 334 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि 2025 तक भारतीय रक्षा निर्यात 35000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा. भारत अब रक्षा उपकरण बनाने और निर्यात करने वाले 25 देशों में शामिल है. गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी, बांग्लादेश के लेफ्टिनेंट कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर (सेवानिवृत्त) मौजूद रहे. लेफ्टिनेंट कर्नल जहीर (सेवानिवृत्त) जिन्होंने 1971 के बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, को पिछले साल भारत सरकार द्वारा सामाजिक कार्य श्रेणी में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.