पश्चिमी चंपारण: 2 अक्टूबर को पूरा देश गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) मना रहा है. बात जब भी महात्मा गांधी की होती है तो चंपारण की धरती को जरूर याद किया जाता है, क्योंकि चंपारण की धरती गांधीजी की पहली प्रयोगशाला थी. गांधीजी ने यहीं से सत्याग्रह की शुरुआत की थी और यहीं से उन्हें महात्मा की उपाधि मिली थी, लेकिन इस सत्याग्रह के जो सूत्रधार पश्चिमी चंपारण जिले के किसान नेता राजकुमार शुक्ल थे, जिन्हें आज के दिन याद करने की जरूरत है.
पश्चिम चंपारण जिले के साठी थाना क्षेत्र के सतवरिया में किसान नेता राजकुमार शुक्ल का घर है. राजकुमार शुक्ल की तीन बेटियां थी. दो बेटियां सतवरिया गांव में रहती थी. आज उस घर में राजकुमार शुक्ल के नाती रहते हैं. राजकुमार शुक्ल के नाती मणि भूषण राय अपने नाना राजकुमार शुक्ल के बारे में बताते हैं कि उन्होंने किस तरह से अंग्रेजी हुकूमत के साथ लड़ाई लड़ी और किस तरह से उनके कहने पर महात्मा गांधी चंपारण की धरती पर आए थे.
वहीं, राजकुमार शुक्ल के परनाती अरुण कुमार शुक्ला, उनकी मां और राजकुमार शुक्ला की नातिन पोतोहू शिव कुमारी देवी भी अपने परिवार के सदस्य व किसान नेता राजकुमार शुक्ल के बारे में बताते हैं, जिससे उनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है कि हमारे नानाजी की देश की आजादी में अहम भूमिका रही है. जिनके कहने पर महात्मा गांधी चंपारण की धरती पर आए और उन्होंने यहीं से सत्याग्रह के रास्ते सत्य व अहिंसा का अस्त्र आजमाया. महात्मा गांधी का यह प्रयोग चंपारण में सफल रहा.