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राजनीति में रजनीकांत की ग्रैंड एंट्री, नये साल में नई पारी का होगा आगाज

रजनीकांत ने राजनीति में प्रवेश पर अनिश्चितता के बादलों को हटाते हुए गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि वह चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक पार्टी बनाएंगे और 31 दिसंबर को अपने राजनीतिक दल के ब्यौरे की घोषणा करेंगे. मशहूर फिल्म अभिनेता ने ठीक तीन साल के बाद यह घोषणा की है. तीन साल पहले उन्होंने कहा था कि वह तमिलनाडु की पहले से ही भीड़ भरी राजनीतिक में उतर गए हैं. अपने प्रशंसकों के लंबे इंतजार को खत्म करने के बाद मशहूर फिल्मी सितारे ने लापरवाही से काम करने वाले राजनीतिक लोगों की छटनी की और मानदंड को ऊंचा किया. ईटीवी भारत चेन्नई से ब्यूरो चीफ एम सी राजन की खास रिपोर्ट...

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Published : Dec 4, 2020, 2:15 PM IST

चेन्नई :अपनी स्वास्थ संबंधी चिंताओं और अभी जारी कोविड -19 महामारी को देखते हुए राजनीति से पीछे हटने की अफवाह फैलाने वाले आलोचकों और संदेह करने वालों को चुप करते हुए सुपरस्टार रजनीकांत राजनीति के अखाड़े में उतर गए. 'रजनी मैजिक' को फिर से प्रदर्शित करते हुए उन्होंने गुरुवार को घोषणा की है कि वह नए साल की पूर्व संध्या पर अपनी राजनीतिक पार्टी का विवरण सार्वजनिक करेंगे. साथ ही होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के कुछ महीने पहले इसे लॉन्च करेंगे.

उन्होंने एक ट्वीट पोस्ट किया, अभी नहीं तो कभी नहीं, अद्भुद वस्तु और चमत्कार हाथ में ही है. इसके बाद फिर अपने आवास पर मीडिया सम्मेलन में उन्होंने कहा, तमिलनाडु के भाग्य को बदलने का समय आ गया है.

राजनीतिक दबाव को लेकर कवर स्टोरी
रजनीकांत के राजनीति में प्रवेश को लेकर तीन दशकों से अधिक समय से सार्वजनिक रूप से बहस चल रही थी. वर्ष 1996 में तब यह सबसे अधिक जोर पकड़े हुए थी, जब उन्होंने एक पंक्ति में कहा था अगर जयललिता को सत्ता में वापस लाने के लिए वोट दिया जाता है तो भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकते. इस पंक्ति ने अन्नाद्रमुक (एआईडीएमके) की जयललिता को सत्ता से बाहर कर दिया और द्रमुक (डीएमके) को कांग्रेस के बागी जीके मूपनार की पार्टी तमिल मानिला कांग्रेस (टीएमसी) के साथ गठबंधन कर सत्ता में वापस लाने में मदद की, लेकिन इससे पहले वर्ष 1992 में भी एक लोकप्रिय तमिल पत्रिका ने अभिनेता के अपने प्रशंसक क्लबों के साथ राजनीतिक में प्रवेश को लेकर राजनीतिक दबाव को लेकर कवर स्टोरी की थी.

'अभी नहीं तो कभी नहीं'
अब जब प्रशंसकों के विशाल समूह के साथ फिल्म स्टार ने अपना मन बना लिया है तो उनके प्रशंसक उत्साहित हो गए हैं और पूरे राज्य में जश्न मना रहे हैं. उसके तुरंत बाद रजनीकांत ने ट्वीट को हैशटैग 'अभी नहीं तो कभी नहीं' और हम लोग बदलेंगे, हर चीज बदलेंगे (वी विल चेंज, चेंज एवरीथिंग) के साथ पोस्ट किया. यह चर्चा का केंद्र बन गया. रजनीकांत वर्ष 1996 में राजनीति में प्रवेश को लेकर बातचीत से बचते रहे थे. फिल्म स्टार ने पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक की सुप्रीमो जयललिता और द्रमुक के संरक्षक एम करुणानिधि के निधन के बाद वर्ष 2017 में अपने प्रशंसकों से परामर्श लेना शुरू कर दिया था. उसी साल दिसंबर में उन्होंने कहा था, मेरे लिए राजनीति कोई नई बात नहीं है, मैंने 1996 में ही प्रवेश किया है.

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सोशल मीडिया में स्वास्थ्य समस्या की पुष्टि
करीब छह दिन तक परामर्श के बाद उन्होंने कहा, मैंने राजनीति में कदम रखा है. यह समय की मांग है. मैं पार्टी बनाऊंगा और तमिलनाडु की सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा. चूंकि, रजनीकांत राजनीतिक दल के गठन को लंबा खींच रहे थे, जिससे भाजपा को छोड़कर विभिन्न वर्गों की ओर से आलोचना की जा रही थी. पिछले महीने के अंत में अभिनेता को एक बयान जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. सोशल मीडिया पर प्रसारित इस संदेश में उनके स्वास्थ्य की समस्या की पुष्टि की गई थी.

रजनी मक्कल मण्ड्राम
कही गई बात को तथ्यात्मक मानते हुए फिल्म स्टार ने इस बात से इनकार कि यह उनके सहयोगियों से लीक हुआ था. इसके बाद उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में रजनी मक्कल मण्ड्राम (आरएमएम) यानी रजनी पीपुल्स फोरम के कार्यकर्ताओं के साथ परामर्श किया था, लेकिन राजनीतिक में कूदने के बारे में गोपनीयता बनाए रखा था. अपने आवास पर जब वे मीडिया सम्मेलन कर रहे थे तो उनके साथ कांग्रेस के पूर्व नेता थमिजारुवी मणियन और हाल तक भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और भगवा पार्टी के बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष रहे अर्जुन मूर्ति थे.

राष्ट्रीय मुख्यधारा में वापस लाने में मदद
सुपरस्टार जब पार्टी शुरू करने के लिए सभी तैयारियां कर चुकें हैं, विश्लेषक राजनीति में उनके प्रवेश के प्रभाव को लेकर बंटे हुए हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के विचारक और ठगलाक के संपादक एस गुरुमूर्ति का दावा है कि रजनीकांत राष्ट्रवादी ताकतों को एकजुट करने और राज्य को राष्ट्रीय मुख्यधारा में वापस लाने में मदद करेंगे. वे कहते हैं रजनीकांत ने राजनीति की दो महान हस्तियों करुणानिधि और जयललिता द्वारा छोड़े गए खाली जगह को भर दिया. अब हमारे पास ऐसे नेता नहीं है, जिनका व्यक्तित्व उनके संबंधित दलों से ऊपर है. सफल होने के लिए रजनीकांत का करिश्मा उनका सहायक है.

ईपीएस अन्नाद्रमुक का चेहरा
हालांकि, चुनाव विश्लेषक और लोक-नीति तमिलनाडु के समन्वयक पी रामाजयम का नजरिया उससे अलग हैं और बताते हैं कि स्टालिन अपने आप में एक नेता के रूप में उभरे हैं और ईपीएस अन्नाद्रमुक का चेहरा बन गए हैं. उनकी राय में रजनीकांत का प्रवेश केवल सत्ता विरोधी वोटों को विभाजित करेगा और सत्ता में लौटने के लिए द्रमुक की राह को आसान बनाएगा.

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प्रमुख संगठन की तुलना में संगठनात्मक नेटवर्क
उन्होंने कहा कि रजनीकांत का समर्थन आधार अन्नाद्रमुक के समान है. उनके आने से ये वोट बंटेंगे. इसके अलावा उनके पास तमिलनाडु की किसी भी प्रमुख जाति का समर्थन नहीं है जैसा कि प्रतिष्ठित फिल्म स्टार और दिवंगत मुख्यमंत्री एमजीआर या जयललिता के साथ था और जिन्होंने इसे भुनाया था. रजनीकांत में एक और कमी, द्रविड़ दलों के प्रमुख संगठन द्रमुक व अन्नाद्रमुक की तुलना में संगठनात्मक नेटवर्क नहीं रहना है.

फिल्मी करियर की शुरुआत
चुनावी शंखनाद होने के बाद सुपरस्टार स्वीकार करने में बहुत सावधानी बरतते हुए कहते हैं, अगर मैं जीत जाता हूं तो यह जनता की जीत है, लेकिन अगर मैं हारता हूं तो यह लोगों की हार है. रजनीकांत ने 1975 में 'अपूर्वा रागंगल' (दुर्लभ रागों) में एक अतिथि कलाकार की भूमिका से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. उस फिल्म में कमल हसन ने मुख्य भूमिका निभाई थी, उसके बाद से सेल्युलाइड की दुनिया में उन्होंने एक लंबी यात्रा की थी, जो दर्शकों का मनमोहती रही. क्या आश्चर्य और चमत्कार काम करेंगे, इसका जवाब सिर्फ समय ही दे सकता है.

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