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लव मैरिज के बाद पत्नी अनुपमा गुलाटी के 72 टुकड़े करने वाले हत्यारे पति को नहीं मिली जमानत - हाईकोर्ट से राजेश गुलाटी की जमानत याचिका नामंजूर

देहरादून के चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के आरोपी राजेश गुलाटी की जमानत हाई कोर्ट ने नामंजूर कर दी है. कोर्ट ने सरकार को 10 दिन के अंदर आपत्ति व जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

राजेश
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Published : Jun 22, 2021, 9:46 PM IST

देहरादून : देहरादून के चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के आरोपी राजेश गुलाटी को नैनीताल हाई कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है. नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की खंडपीठ में हुई सुनवाई में राज्य सरकार को कोर्ट ने 10 दिन के भीतर अपनी आपत्ति व जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

हत्याकांड से दहल उठा था उत्तराखंड

17 अक्टूबर 2010 को आरोपी राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की निर्मम हत्या कर उसके शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में छुपा दिए थे. 12 दिसंबर 2010 को अनुपमा की हत्या का खुलासा तब हुआ, जब अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून पहुंचा. भाई द्वारा राजेश से अपनी बहन के बारे में जानकारी ली गई तो राजेश ने अनुपमा की हत्या की बात कुबूली. अनुपमा के भाई ने राजेश के खिलाफ देहरादून कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. राजेश गुलाटी पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था. उसने अनुपमा के साथ 1999 में लव मैरिज की थी.

सितंबर 2017 में सुनाई आजीवन कारावास की सजा

मामले में जांच के बाद देहरादून पुलिस ने अनुपमा की हत्या के मामले में उसके पति को दोषी मानते हुए देहरादून जिला न्यायालय में चार्जशीट दायर की. इस दौरान 1 सितंबर 2017 को देहरादून कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अनुपमा के पति राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. साथ ही राजेश गुलाटी पर 15 लाख का अर्थदंड लगाया गया था. कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि इस 15 लाख में से 70 हजार रुपये सरकारी कोष में जमा होंगे. जबकि बाकी रुपये अनुपमा के बच्चों की देखरेख में खर्च किए जाएंगे.

देहरादून कोर्ट के आदेश को HC में चुनौती

देहरादून की जिला न्यायालय के इस आदेश को राजेश गुलाटी द्वारा 2017 में हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. जिसके बाद से मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है. मंगलवार को राजेश गुलाटी द्वारा अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश खंडपीठ ने राज्य सरकार को अपनी आपत्ति पेश करने के लिए 10 दिन का समय देते हुए जमानत को नामंजूर कर दिया है. मामले पर सुनवाई अब 10 दिन बाद की जाएगी.

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