जयपुर.राजस्थान के राज परिवार के सदस्य पद्मनाभ सिंह ने विदेश में जीत के साथ पोलो के इतिहास को दोहरा दिया. जयपुर के महाराजा मानसिंह द्वितीय ने 73 साल पहले पोलो के जिस अंतरराष्ट्रीय मुकाबले को जीतकर देश का नाम ऊंचा किया था, अब उनके वंशज पद्मनाभ सिंह ने भी उसी कमाल को दोहराया है.
पोलो खिलाड़ी पद्मनाभ सिंह बाएं तरफ से आखिर में खड़े हैं फ्रांस की सैंट मेस्मे में पोलो टीम से खेलते हुए एक रोमांचक मुकाबले में मौजूदा चैंपियन कजाक को शिकस्त दी. यह मुकाबला पद्मनाभ सिंह की टीम ने 9 गोल के मुकाबले 11 गोल से जीता. इस मैच के दौरान पद्मनाभ सिंह ने फाइनल मुकाबले में तीन गोल किए और 129 डिग्री ओपन द पेरिस ट्रॉफी को अपनी सैंट मेस्मे टीम की झोली में डाल दिया. गौर है कि पद्मनाभ बीते 4 साल से फ्रांस की इसी टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. जीत के बाद उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि विनर्स के साथ होना मेरे लिए एक गर्व का पल है, क्योंकि मैं सर्वकालिक महान पोलो खिलाड़ी महाराजा सवाई मानसिंह की लीगेसी को जी रहा हूं.
पोलो खिलाड़ी पद्मनाभ सिंह पोलो विजेता टीम और ट्रॉफी के साथ जयपुर में पोलो की बेहतरी के लिए होगा काम :फ्रांस में हुए मुकाबले में ऐतिहासिक जीत के बाद पद्मनाभ सिंह काफी खुश दिख रहे हैं. उनका यह कहना है कि इस कामयाबी के बाद जयपुर में युवाओं को हौसला मिलेगा. मैं लगातार इस मुकाबले के लिए जयपुर और अर्जेंटीना में तैयारी कर रहा था. पिछले साल का कजाक के हाथों मिली शिकस्त को भुलाते हुए इस बार हमने जीत हासिल की है. पद्मनाभ सिंह ने बताया कि महाराजा मानसिंह के दौर का खेल और आज के समय का पोलो बिल्कुल बदल चुका है. तब के मुकाबले आज घोड़ों का कद छोटा हो गया है और खेल ज्यादा तकनीकी हो चुका है. उस वक्त महाराजा मानसिंह इस खेल के लिए ऑस्ट्रेलिया से घोड़े लेकर आए थे.
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जयपुर में पोलो के भविष्य को लेकर पद्मनाभ सिंह ने कहा कि यहां का खेल मैदान दुनिया के बेहतरीन ग्राउंड में शुमार है. जहां अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाली घास है. मान सिंह एकेडमी को विकसित किया गया है. वे कहते हैं कि पोलो फार्मूला वन की तरह एक जोखिम भरा खेल है. जहां खिलाड़ी और घोड़े दोनों पर ही सब कुछ निर्भर करता है. जयपुर में खेल के विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा युवाओं को ट्रेनिंग देने के लिए भी पद्मनाभ सिंह अपना मन बना रहे हैं.
पोलो खिलाड़ी पद्मनाभ सिंह पोलो खेलते हुए