5.30 घंटे में तैयार किया 171 किलो की 'महारोटी' भीलवाड़ा. राजस्थान के भीलवाड़ा में रविवार को 171 किलो वजनी रोटी बनाई गई. 21 हलवाइयों की टीम की ओर से तैयार की गई इस रोटी के लिए 180 किलो गीले आटे का इस्तेमाल किया गया. साथ ही रोटी बनने की प्रक्रिया पूरी होने तक वीडियोग्राफी भी करवाई गई. इसे अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भेजा जाएगा. साथ ही इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में आवेदन किया गया है.
जन्मदिवस पर अनूठा प्रयोग :साढ़े पांच घंटे की मशक्कत के बाद तैयार हुई इस महारोटी को पंचकुटा की सब्जी के साथ प्रसाद के रूप में हरि सेवा उदासीन आश्रम पर आने वाले श्रद्धालुओं और दर्शकों में वितरित किया गया. भाजपा जिला प्रवक्ता और राजस्थानी जनमंच के जिलाध्यक्ष कैलाश सोनी ने अपने जन्मदिवस पर इस रोटी को बनाने का अनूठा प्रयोग किया है. उन्होंने बताया कि जन्मदिन के मौके पर हरि सेवा उदासीन आश्रम में इस महारोटी को तैयार किया गया.
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बड़ी रोटी के लिए बड़ी योजनाःकैलाश सोनी ने बताया कि इतनी बड़ी रोटी को तैयार करने के लिए बड़े स्तर पर योजना भी बनाई गई. इस रोटी को बनाने के लिए 2000 मिट्टी की ईंटों पर मिट्टी का लेप करते हुए भट्टी तैयार की गई. साथ ही 1000 किलो कोयले का इस्तेमाल किया गया. इस रोटी को तैयार करने के लिए एमपी, महाराष्ट्र और राजस्थान के 21 हलवाइयों की टीम जुटी रही. महारोटी को तैयार करने के लिए सुबह 10 बजे आटा गूंथने का काम शुरू हुआ. वहीं, रोटी को बनकर तैयार होने में दोपहर के 3.30 बज गए. इस महारोटी के लिए 180 किलो आटे का प्रयोग किया है. साथ ही इसे 20 फीट स्टील के डंडे से बेला गया है. इस रोटी को ऊपर से सेंकने के लिए रोटी के ऊपर भी तवा लगाया गया.
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इन सामग्री का हुआ इस्तेमालःबड़ी रोटी को बनाने वाले कारीगर अमरचंद सुथार ने कहा कि हरि सेवा आश्रम भीलवाड़ा में 180 किलो गीले आटे की रोटी बनाई गई है. रोटी बनकर तैयार होन के बाद उसका वजन 171 किलो रहा है. उन्होंने बताया कि रोटी को तैयार करने के लिए हमने 110 किलो गेहूं का आटा, 10 किलो मैदा और 10 किलो देसी घी मिलाया. इसके बाद इसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलते हुए आटा तैयार किया गया. अमरचंद ने बताया कि इस रोटी को बनाने के लिए पिछले 7 दिन से तैयारी चल रही थी. रोटी के तैयार होने के बाद उसे पंचकुटा की सब्जी के साथ प्रसाद के रूप में लोगों के बीच वितरित किया गया.
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संतों की मौजूदगी में हुई शुरुआतःइस महारोटी को तैयार करने के लिए भीलवाड़ा का संत समाज भी साक्षी बना. संतों ने पहले भूमि पूजन किया और उसके बाद वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजन करते हुए भट्टी में अग्नि प्रज्वलित करते हुए रोटी की सिंकाई की गई. इस कार्यक्रम की लाइव रिकॉर्डिंग भी की गई है. इस वर्ल्ड रिकॉर्ड को बनाने के लिए लिम्का बुक, इंटरनेशनल बुक रिकॉर्ड में आवेदन किया गया है. साथ ही इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भेजा जाएगा.
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पुराने विश्व रिकॉर्ड को तोड़ने की कवायद : इस महारोटी को बनाने के पीछे पुराने विश्व रिकॉर्ड को तोड़ने की मंशा भी रही है. कैलाश सोनी ने बताया कि रोटी का व्यास 11x11 फीट रहा, जबकि मोटाई लगभग 70 एमएम की थी. इसको बनाने के लिए एक विशेष प्रकार का विशालकाय लोहे का तवा तैयार किया गया, जिसकी लंबाई चौड़ाई 16 फीट x 12 फीट और वजन 1000 किलो है. उन्होंने बताया कि रोटी को तैयार करने के लिए विशेष कारीगर को बुलाया गया. कैलाश सोनी ने कहा कि मेरे जन्म दिवस पर बड़ी रोटी बनी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान पीढ़ी अपने जन्म दिवस पर केक काटती है, वहीं पुरानी संस्कृति को भूल गई है. इसीलिए मैंने एक नवाचार किया है.
यहां है सबसे बड़ी रोटी का रिकॉर्ड : बता दें कि इससे पहले जामनगर (गुजरात) का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में करीब 145 किलोग्राम की रोटी बनाने का रिकॉर्ड है. इसके बाद अब भीलवाड़ा में 171 किलो की रोटी बनाई गई है. इस महारोटी के तैयार होने के दौरान लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला. बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ रोटी को सिंकते देखती रही.