जयपुर. राजस्थान फोन टैपिंग केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर लगी रोक को जारी रखते हुए मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर को तय की है. अदालत ने यह आदेश लोकेश शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान लोकेश शर्मा के अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान सरकार पहले ही कह चुकी है कि उसने कॉल इंटरसेप्ट किए और इसके लिए विभाग के अधिकारी जिम्मेदार हो सकते हैं. वहीं, लोकेश शर्मा इसे मीडिया में भेजने करने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन उन्हें अवैध रिकॉडिंग के लिए कैसे जिम्मेदार माना जा सकता है? इस मामले में 8 महीने बाद मुकदमा दर्ज हुआ है और इसका कोई उचित कारण भी नहीं बताया. दिल्ली पुलिस ने 3 मोबाइल नंबर के बीच कॉन्फ्रेंस कॉल होना बताया है, लेकिन उन तीनों कॉल में एक भी नंबर शिकायतकर्ता यानि गजेन्द्र सिंह शेखावत का नहीं है. ऐसे में शिकायतकर्ता यह आरोप कैसे लगा सकता है कि उनके कॉल्स रिकॉर्ड किए गए हैं?
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18 अक्टूबर को होगी सुनवाई : यह पूरी घटना राजस्थान में घटित होने के कारण दिल्ली पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज करने का क्षेत्राधिकार भी नहीं है. इसके जवाब में एएसजी संजय जैन ने लोकेश शर्मा पर मामले में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाने का आग्रह किया. कोर्ट समय खत्म होने के कारण मामले में पूरी बहस नहीं हो पाई, जिस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे तय करते हुए तब तक शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक जारी रखी है.
ये है मामला :बता दें कि केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह ने राजस्थान सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा और अन्य के खिलाफ जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने और इससे उनकी छवि को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए मार्च 2021 में एफआईआर दर्ज कराई थी. इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकेश शर्मा की याचिका पर 3 जून 2021 को आदेश जारी कर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई थी.