नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2021-22 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की स्वीकृत संख्या (39669) के मुकाबले 776 डॉक्टरों की कमी है. 10949 आयुष डॉक्टरों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले 2917 आयुष डॉक्टरों के पद खाली हैं. सीएचसी में 4560 सर्जनों की कमी है.
ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी में 4068 प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी में 4335 चिकित्सकों की कमी है. ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी में 4474 बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी में कुल 17435 विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है. इसके अलावा मौजूदा बुनियादी ढांचे की आवश्यकता की तुलना में, 83.2 प्रतिशत सर्जन, 74.2 प्रतिशत प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ, 79.1 प्रतिशत चिकित्सक और 81.6 प्रतिशत बाल रोग विशेषज्ञ की कमी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, मौजूदा सीएचसी की आवश्यकता की तुलना में सीएचसी में 79.5 प्रतिशत विशेषज्ञों की कमी है. हालांकि, रिपोर्ट में भारत के ग्रामीण स्वास्थ्य क्षेत्र के सकारात्मक पक्ष पर प्रकाश डाला गया है क्योंकि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और कई अन्य राज्यों में स्वास्थ्य उप केंद्रों (SC), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.
ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट के अनुसार उपकेन्द्रों की संख्या में वर्ष 2005 से 11909 की वृद्धि हुई है. वर्ष 2005 से उपकेन्द्रों की संख्या में 11909 की वृद्धि हुई है. वर्ष 2005 की तुलना में 2022 में 1699 पीएचसी की वृद्धि हुई है. वहीं, वर्ष 2005 के मुकाबले सीएचसी की संख्या में भी 2134 की वृद्धि हुई है. आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान (3011), गुजरात (1585), मध्य प्रदेश (1413), और छत्तीसगढ़ (1306) राज्यों में स्वास्थ्य उप केंद्रों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है.