जोधपुर. राजस्थान में सूर्यनगरी पर्यटन की दृष्टि से तो मशहूर है ही, लेकिन यहां की पाक कला इसे दुनिया भर में और खास बनाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के व्यंजन कहीं और नहीं मिलते. जिस गुलाब जामुन को पूरे देश में मिठाई के रूप में खाया जाता है, उसी की यहां सब्जी बनती है. ठीक इसी तरह (Jodhpur special Malai Roti) मलाई का नाम आते ही हमारे जेहन में दूध के गिलास पर जमी परतें सामने आती हैं. लेकिन जोधपुर में दूध मलाई को लेकर भी इत्तेफाकन ऐसा प्रयोग हुआ कि मलाई रोटी बन गई. जो आज चालीस साल से लोगों की पसंद बनी हुई है.
शहर में एक ही (Jodhpur food crazy world) रेस्टोरेंट में ये रोटी मिलती है, जिसकी रेसीपी भी उनके ही पास है. जोधपुर आने वालों को अगर मलाई रोटी का स्वाद चखना है तो उसे भीतरी शहर में जाना होगा. यहां कुंज बिहारी मंदिर के समीप विजय रेस्टोरेंट है, जहां ये रोटी मिलती है. रेस्टोरेंट के बाहर ही एक ठेला लगा है, जो इसकी शुरुआती कहानी को बयां करता है.
ऐसे हुआ आविष्कार:रेस्टोरेंस संचालक भरत भाटी बताते हैं कि 1982 में उनके पिता जवरीलाल भाटी ने मलाई रोटी का अविष्कार किया था. उन्होंने बताया कि उनके पिता एक दिन घर में बैठे थे. तभी एक बिल्ली आई, जिसके बाद उनके पिता ने एक कटोरी उसकी ओर फेंकी, जिसमें मलाई जमी थी. कटोरी में से मलाई (Malai Roti Recipe) छलक कर गर्म कड़ाही में जा गिरी, जिसे उतार कर देखा तो वो पूरी तरह से सिक चुकी थी. इस पर उन्होंने एक प्रयोग किया और उस मलाई को रोटी का सेप देकर घी में तला और चाशनी में डालकर एक नया व्यंजन बनाया. जिसे आज हम मलाई रोटी के नाम से जानते हैं.