जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 2008 में जयपुर शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद जिंदा मिले बम के मामले में नाबालिग आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने कहा कि आरोपी वापस अपराधियों के संपर्क में आ सकता है और गुजरात बम ब्लास्ट केस में भी इसकी जरूरत है. उसने गंभीर अपराध किया है और ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता. नाबालिग आरोपी ने जमानत याचिका में किशोर न्याय बोर्ड और डीजे मेट्रो के आदेशों को चुनौती देते हुए कहा कि जयपुर बम ब्लास्ट केस में उसे दोषमुक्त करते हुए हाईकोर्ट ने घटना के समय नाबालिग माना था. वह तीन साल से भी ज्यादा समय से जेल में बंद है और सह आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, जबकि किशोर न्याय अधिनियम के तहत नाबालिग को अधिकतम तीन साल तक की सजा ही दी जा सकती है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए.