जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने न्यायपालिका पर बयानबाजी को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जवाब मांगा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट में वकालत करने वाले पूर्व न्यायिक अधिकारी शिवचरण गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए हैं. जनहित याचिका में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ स्वप्रेरणा से आपराधिक अवमानना की कार्रवाई करने की गुहार की गई है.
जनहित याचिका में एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका के खिलाफ बयानबाजी की है. सीएम गहलोत ने न्यायपालिका में गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले तक वकील लिखते हैं और वे जो लिखकर लाते हैं, वहीं फैसला आता है. चाहे लोअर कोर्ट हो या उच्च, हालात गंभीर हैं. देशवासियों को इस संबंध में सोचना चाहिए. जनहित याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री का यह बयान न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला और प्रतिष्ठा को गिराने वाला है.
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याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री गहलोत ने न सिर्फ न्यायिक अधिकारियों बल्कि वकीलों की प्रतिष्ठा को नीचा दिखाने वाला बयान दिया है. याचिका में गुहार की गई है कि जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वप्रेरणा से अदालती अवमानना को लेकर सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई अमल में लाए जाएं. गौर है कि गत बुधवार को सीएम गहलोत ने न्यायपालिका के खिलाफ बयानबाजी की थी. इसके बाद भाजपा समर्थित वकील आंदोलनरत हैं.
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दो अन्य याचिका दायरः वहीं दूसरी ओर रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर की ओर से अधिवक्ता डॉ. महेश शर्मा व अधिवक्ता हर्षिता शर्मा ने सीएम गहलोत के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका पेश की है. अधिवक्ता मनु भार्गव व सौरभ सारस्वत ने भी इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका पेश की है. हाईकोर्ट अगले सप्ताह इन याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है.