कोटा.राजस्थान के कोटा में कोचिंग छात्रों में बढ़ते सुसाइड के मामलों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत कोचिंग संस्थानों, हॉस्टल और मैस पर कई पाबंदियां लगाई गई हैं. यह गाइडलाइन प्रमुख शासन सचिव उच्च शिक्षा भवानी सिंह देथा ने जारी की है, जो प्रदेश के सभी कोचिंग संस्थानों पर लागू होगी. इसमें मुख्य तौर पर कोटा के कोचिंग संस्थान शामिल हैं.
गाइडलाइन के अनुसार अब कक्षा 9 के पहले विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए प्रोत्साहित नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं. कोटा में कई कोचिंग संस्थानों में कक्षा 6 से ही विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं. यह सभी कोर्स प्री नर्चर करियर फाउंडेशन (PNCF) डिवीजन के आधार पर संचालित किए जाते हैं. गाइडलाइन में यह भी बताया गया है कि कक्षा 9 से निचली कक्षाओं में पढ़ रहे विद्यार्थी कोचिंग छोड़ना चाहें तो उनकी फीस लौटाने का प्रावधान किया जाए.
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स्क्रीनिंग टेस्ट के बाद मिले प्रवेश :भवानी सिंह देथा की ओर से जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार कोचिंग संस्थानों को विद्यार्थियों को स्क्रीनिंग टेस्ट और उनकी क्षमता का आकलन करने के बाद ही एडमिशन देना होगा. इसमें ओरिएंटेशन और काउंसलिंग भी हो, ताकि उनकी रुचि के बारे में भी जानकारी मिल सके. एडमिशन के पहले विद्यार्थियों को यह बताया जाए कि बीते सालों में कितने विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया था और कितने विद्यार्थी सिलेक्ट हुए हैं. कोचिंग में एडमिशन लेने के बाद विद्यार्थी की प्रोग्रेस उनके पेरेंट्स को बताई जाए. साथ ही करियर के विकल्प भी उन्हें बताए जाएं. कोचिंग संस्थान प्रवेश के दौरान अल्फाबेटिकल बैच तय करें और उनमें बदलाव नहीं करें. क्लासरूम में उपलब्ध जगह के अनुसार ही विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाए, ताकि विद्यार्थियों को फैकल्टी, स्क्रीन और ब्लैक बोर्ड साफ दिखाई दे.
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रिजल्ट सार्वजनिक नहीं करने से लेकर कई निर्देश
- कोचिंग छात्रों के असेसमेंट का रिजल्ट सार्वजनिक नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं. जिन बच्चों के कम अंक आए हैं, उनको लेकर गोपनीयता रखते हुए नियमित विश्लेषण और काउंसलिंग करने को कहा गया है.
- कोचिंग कर्मियों और हॉस्टल से लेकर सभी के लिए गेट कीपर ट्रेनिंग और निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए.
- कोचिंग छात्रों की उपस्थिति को आईटी बेस्ड मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए, ताकि सीसीटीवी कैमरा और बायोमेट्रिक व्यवस्था के जरिए निगरानी रखी जा सके. इसके अलावा फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी भी यूज करें.
- 3 महीने में एक बार पीटीएम ऑनलाइन या ऑफलाइन जरूर आयोजित हो, जिसमें पेरेंट्स को बच्चों की प्रगति के बारे में बताया जाए.
- स्टूडेंट के बीच पीयर ग्रुप इवोल्यूशन सिस्टम स्थापित हो, ताकि छात्र एक दूसरे से इंटरेक्ट कर सकें. कमजोर विद्यार्थियों को प्रेरित करें. इंटरेक्शन के दौरान किसी विद्यार्थी के व्यवहार में कोई भी बदलाव हो, तो इस संबंध में वह मेंटर को सूचना दें.
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सरकार की कमेटी ने माने आत्महत्या के यह कारण
- प्रतियोगी परीक्षाओं में कंपटीशन ज्यादा और सीट्स कम.
- सिलेबस और टेस्ट पेपर कठिन होने के चलते विद्यार्थियों में मानसिक दबाव और निराशा.
- बच्चों को उनकी योग्यता, रुचि और कैपेबिलिटी से भी अलग पढ़ाई करवाया जाना.
- पेरेंट्स की हाई एक्सपेक्टेशन और बच्चों का परिवार से दूर रहना.
- काउंसलिंग और शिकायत का निवारण ठीक से नहीं होना.
- टीनएज होने के चलते उनके व्यवहार में बदलाव.
- स्टूडेंट के एसेसमेंट टेस्ट की ज्यादा संख्या और उनका परिणाम सभी विद्यार्थियों को पता चलना.
- कम मार्क्स आने पर स्टूडेंट के बीच आपस में टीका टिप्पणी.
- विद्यार्थियों के बैच में बदलाव.
- कोचिंग इंस्टिट्यूट का टाइट शेड्यूल और छुट्टियां की संख्या कम होना.
- मनोरंजक और को-एजुकेशन एक्टिविटी की कमी.
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राज्य सरकार चिंतित : देशभर से राजस्थान के कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने आने वाले विद्यार्थियों में बढ़ते आत्महत्या और तनाव के मामले को लेकर राज्य सरकार चिंतित है. इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कोचिंग संस्थानों और सभी स्टेकहोल्डर के साथ मीटिंग आयोजित की थी, जिसमें प्रदेश के कई मंत्री भी मौजूद रहे. इसके बाद एक कमेटी गठित की गई. इस पूरे मामले की निगरानी मुख्य सचिव उषा शर्मा कर रहीं थीं. उन्होंने कमेटी के जरिए एक एसेसमेंट रिपोर्ट बनवाई, जिसके आधार पर राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी की है.