जयपुर.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान दौरे को लेकर सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. इस बार पीएम भी पूरी तरह से राज्य पर फोकस बनाए हैं, जिसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म भी है. मसलन पीएम मोदी का बीते दो हफ्ते में तीन बार राजस्थान आना और तीन संभागों में जनसभाओं को संबोधित करना इसमें शामिल है. सवाल यह हो रहा है कि बार-बार मोदी राजस्थान आकर क्या पैगाम दे रहे हैं, क्या मोदी के इलेक्शन मैनेजमेंट टीम को अब यह लग रहा है कि आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए हालात मुश्किल है? चर्चा इस बात की भी है कि राजस्थान का यह सियासी रण अब मोदी बनाम गहलोत हो चुका है. वहीं, जयपुर के बाद चित्तौड़गढ़ और जोधपुर की जनसभा में भी कुछ ऐसे ही संकेत देखने मिले हैं.
10 दिन में तीन दौरों का संदेश -पीएम मोदी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद जयपुर के नजदीक परिवर्तन संकल्प यात्रा के समापन पर बीते 25 सितंबर को एक जनसभा को संबोधित किए थे. उसके बाद मोदी 2 अक्टूबर को चित्तौड़गढ़ के श्री सांवलियाजी में सभा को संबोधित किए और आज (गुरुवार को) जोधपुर में जनसभा कर पीएम ने खास सियासी संदेश देने की कोशिश की. यह तमाम सूरत-ए-हाल बयान कर रहे हैं कि आने वाला विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए चुनावी फोकस का मसला हो सकता है. पीएम मोदी अपने इलेक्शन मैनेजमेंट के लिए जाने जाते हैं. पहले सर्वे और फिर रिपोर्ट के आधार पर फैसले लेने के लिए पहचाने जाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता अगर राज्य की जगह केंद्रीय नेतृत्व को बागडोर सौंपकर प्रदेश के चुनाव का नतीजा तय करने का सोच रहे हैं तो इसके मायने कई तरह से खास हो सकते हैं.
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यही वजह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के महंगाई राहत की मुहिम के सामने हर जगह मोदी ही मुकाबला करते नजर आ रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि चुनावी साल में प्रमुख पार्टियों का फोकस राजस्थान पर है. साथ ही भाजपा के आलाकमान को राजस्थान के नेतृत्व पर भरोसा नहीं है. इसलिए खुद मोदी कमान संभाले हुए हैं. शर्मा ने बताया कि मोदी ने अभी तक अपने दौरे पर राज्य के किसी नेता को चेहरे के रूप में तवज्जो नहीं दी है. जबकि गारंटी के नाम पर मोदी खुद को ही आगे रख रहे हैं और उन्हें लोकल लीडरशिप पर भरोसा नहीं है.