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Rajasthan : छोटी काशी में गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी झलक, 50 साल से मुस्लिम परिवार बनाता है रावण, राम मंदिर होता है इनका ठिकाना

Dussehra 2023, राजस्थान के जयपुर में दशहरा पर दहन के लिए 105 फीट का रावण और 90 फीट का कुम्भकर्ण का पुतला बनाया जाता है. खास बात ये है कि ये पुतला मथुरा का एक मुस्लिम परिवार बनाता है. पिछले 50 साल से पीढ़ी दर पीढ़ी ये परिवार इस परंपरा को निभा रहा है. हर साल लगभग डेढ़ महीने के लिए राम मंदिर परिसर में ही रहकर ये परिवार पुतला बनाने का काम करता है. पढ़िए ये रिपोर्ट...

Dussehra 2023
Dussehra 2023

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 20, 2023, 6:03 PM IST

छोटी काशी में गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक दशहरा

जयपुर.अधर्म पर धर्म, बुराई पर अच्छाई का प्रतीक दशहरा महापर्व राजस्थान की छोटी काशी में गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक बन गया है. यहां पांच पीढ़ियों से सबसे बड़े रावण को बनाने का काम मथुरा से आने वाला एक मुस्लिम परिवार कर रहा है. जन्माष्टमी के बाद ये परिवार राम मंदिर परिसर में ही गुजर बसर करता हुआ, रावण और कुम्भकर्ण के पुतले को बनाने का काम करता है.

पांचवीं पीढ़ी कर रही ये काम : कारीगरों ने दशहरा पर्व पर दहन होने वाले रावण के पुतलों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. बड़ी-बड़ी आंखें, रौबदार मूंछ, अहंकार से भरा हुआ सिर और उसका ताज बनाया जा चुका है. जल्द ही इसे फाइनल टच दिया जाएगा. राजधानी के आदर्श नगर में मनाए जाने वाले दशहरा महापर्व को लेकर आयोजक राजीव मनचंदा ने बताया कि जिस रावण का दहन किया जाता है, उसका निर्माण मथुरा से आया एक मुस्लिम परिवार करता है, जिसकी पांचवीं पीढ़ी ये काम कर रही है. पूरा परिवार जन्माष्टमी के अगले दिन से यहां आकर बस जाता है. बीते साल तो परिवार के एक सदस्य ने यहीं जन्म लिया. उन्होंने कहा कि ये काम वो मजदूरी के लिए नहीं बल्कि भाव की वजह से करते हैं. अब इस काम में पूरी तरह रम चुके हैं.

जयपुर का रावण दहन...

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जन्माष्टमी के अगले दिन से राम मंदिर में रहता है मुस्लिम परिवार :रावण बनाने वाले मुस्लिम परिवार के मुखिया चांद बाबू ने बताया कि 50 साल पहले उनके दादा-परदादा ने यहां आकर रावण बनाने का काम शुरू किया था. उस वक्त 20 फीट का रावण बनाकर शुरुआत की गई थी. तभी से पीढ़ी दर पीढ़ी वो यहां आकर रावण बनाने का काम कर रहे हैं. पीढ़ियों से चली आ रही उनके घर की परंपरा को लेकर चांद बाबू ने कहा कि उन्होंने जो अपने बड़ों से सीखा है, वो चाहते हैं कि यही कला उनके बच्चे भी सीखें. वो मथुरा से चलकर यहां तक आते हैं. जन्माष्टमी के अगले दिन से उनका ठिकाना जयपुर का राम मंदिर ही होता है.

मथुरा का एक मुस्लिम परिवार बनाता है पुतला

डेढ़ महीने के लिए सारा काम-धाम छोड़ देते हैं : उन्होंने बताया कि यहां से कोई खास मेहनताना नहीं मिलता, लेकिन जो परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, उसका वो निर्वहन कर रहे हैं. मुख्य रूप से रोजगार के लिए उनका काम कपड़े सिलाई का है. उनके भाई चांदी की पाजेब बनाने का काम करते हैं, लेकिन हर साल डेढ़ महीने के लिए अपना सारा काम-धाम छोड़ यहां रावण बनाने के लिए पहुंचते हैं. मुस्लिम समुदाय से आने के बावजूद उनकी मंदिर के प्रति जो श्रद्धा है, उसकी वजह से वो यहां तक खिंचे चले आते हैं. चांद बाबू ने बताया कि मथुरा में भी हिंदू मुस्लिम में इसी तरह का भाईचारा है और यहां भी उन्हें घर जैसा ही महसूस होता है. उनके बच्चे मंदिर भी जाते हैं, भगवान का प्रसाद भी खाते हैं. यहां किसी तरह का भेदभाव उनके साथ नहीं होता. बहरहाल, आदर्श नगर में मनाया जाने वाला दशहरा जाति-धर्म की खाई को पाटने का काम करता है. साथ ही यहां रावण दहन ये संदेश भी देता है कि बुराई कितनी है बड़ी क्यों न हो, अच्छाई के सामने बहुत छोटी होती है.

जन्माष्टमी के अगले दिन से शुरू होता है काम

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105 फीट का रावण, 90 फीट का कुंभकर्णःआयोजक राजीव मनचंदा ने दावा किया कि जयपुर ही नहीं राजस्थान का सबसे बड़ा दशहरा मेला का आयोजन यहां किया जाता है. इसमें शहर भर से लोग और जनप्रतिनिधि भी पहुंचते हैं. यहां 105 फीट का रावण और 90 फीट का कुम्भकर्ण बनाया जाता है. रावण दहन से पहले करीब 20 से 25 मिनट की भव्य आतिशबाजी की जाती है. उन्होंने बताया कि रावण दहन के दिन दोपहर में राम दरबार की सजीव झांकी के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है.

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