जयपुर : विधानसभा चुनाव 2023 को साधने में जुटी कांग्रेस (Congress Mission 2023) के भीतर सियासी उबाल एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है. एक दिन पहले सीएम अशोक गहलोत ने दिल्ली दौरे के दौरान कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. इसके अगले दिन यानि गुरुवार को पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी सोनिया गांधी के द्वार पहुंच गए. उन्होंने एक बार फिर सोनिया गांधी से मुलाकात की है. सूत्रों की मानें तो इस मुलाकात के दौरान पायलट की प्रदेश या ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में क्या कुछ भूमिका रहेगी, इस पर चर्चा हुई है.
माना जा रहा है कि सचिन पायलट को जल्द ही कोई बड़ा पद दिया जा सकता है. सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद (Rajasthan Congress Leaders Delhi Tour) उन्होंने मीडिया से साफ तौर पर कहा कि 'मैंने सोनिया गांधी को राजस्थान की पॉलीटिकल सिचुएशन को लेकर फीडबैक दिया है.' पायलट ने एक बार फिर दोहराया कि राजस्थान में 30 साल से एक बार कांग्रेस की सरकार और एक बार भाजपा की सरकार की जो परंपरा बनी हुई है उसे तोड़ने के लिए हम सब को एकजुट होकर चलना होगा.
उन्होंने कहा कि इस मामले में एआईसीसी ने जो 2 साल पहले कमेटी बनाई थी. उसके अनुसार राजस्थान में संगठन और सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, उस पर अभी और काम करना है. पायलट ने कहा कि सभी निर्णय सोनिया गांधी को लेने हैं. लेकिन क्योंकि (Rajasthan Vidhansabha Election 2023) हम धरातल पर काम करते हैं तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम पार्टी अध्यक्ष को सही फीडबैक दें. जो जनता और पार्टी के हित में हो और हमने इसी को लेकर डिस्कस किया है.
पायलट की भूमिका पर हुई चर्चाः सचिन पायलट की क्या कुछ भूमिका आगे कांग्रेस पार्टी में रहने वाली है. इस संबंध में सचिन पायलट से सोनिया गांधी ने चर्चा की है. हालांकि, स्पष्ट रूप से उन्होंने इसे लेकर कुछ नहीं कहा. लेकिन उन्होंने कहा कि मैं राजस्थान से जुड़ा हूं जो साफ करता है कि उनकी इच्छा राजस्थान में ही सक्रिय रहने की है. ऐसे में पार्टी के सामने चुनौती यह है की राजस्थान में सचिन पायलट को क्या कुछ भूमिका दी जाए. जानकारों के अनुसार उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया है. ऐसे में मुख्यमंत्री के अलावा कोई पद उनके लिए प्रदेश में बचता नहीं है. लेकिन कांग्रेस पार्टी अभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी नाराज करने का रिस्क नहीं ले सकती. ऐसे में राजस्थान की राजनीति में राज्यसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल का तेज होना स्वभाविक है.