उदयपुर :राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान पर सीएम अशोक गहलोत ने कहा, अब संघ को भाजपा में मर्ज हो जाना चाहिए. गौरतलब है कि संघ प्रमुख ने हरिद्वार में एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था, सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है. 20 से 25 साल में देश फिर से अखंड भारत (RSS On Akhand Bharat) बनेगा और यह सब हम अपनी आंखों से देखेंगे. मीडिया से मुखातिब सीएम अशोक गहलोत ने आरएसएस, भाजपा और उनकी विचारधारा पर भी टिप्पणी की.
'चुनाव जीतने के लिए करते हैं सब': गहलोत ने भाजपा पर महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर और सरदार पटेल के नाम का बेजा इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. कहा कि भाजपा जो महात्मा गांधी और सरदार पटेल और भीमराव अंबेडकर की बात करते हैं. दरअसल, भाजपा के लोग इन नेताओं को चुनाव में चुराने का काम कर रहे हैं. ऐसे में भाजपा खाली चुनाव जीतने के लिए इन नेताओं का नाम ले रही इन नेताओं से भाजपा का कोई ताल्लुक नहीं है.
'विलय हो जाए तो अच्छा': मोहन भागवत के अखंड भारत (RSS On Akhand Bharat) वाले बयान पर सीएम गहलोत ने संघ को अपने अंदाज में समझाया कि हिंदू राष्ट्र क्या होता है. गहलोत ने कहा, जो लोग हिंदू की बात करते हैं. आज हिंदू भी संकट में है. देश में आज भी छुआछूत के मामले देखने को मिलते हैं. ऐसे में आरएसएस के कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर सद्भाव का संदेश देना चाहिए. अखंड भारत तब बनेगा जब सभी जातियों और धर्म के लोग मजबूत होंगे. ऐसे में आरएसएस को छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ अभियान छेड़ना चाहिए.
आरएसएस पर गहलोत की टिप्पणी : सीएम अशोक गहलोत ने संघ को राजनीति के प्लेग्राउंड में फ्रंटफुट पर खेलने का मशविरा दिया. उन्होंने कहा कि आरएसएस पीछे रह करके भाजपा को जिताने का काम करती है. इन्हें चाहिए कि बीजेपी को अपने अंदर मर्ज (merge rss into BJP) कर ले. RSS दबंग होकर आगे आए और राजनीति पार्टी बन जाए. ये लोग पीछे रह करके भाजपा को जिताने का काम करते हैं. हिंदुत्व की बात करते हैं. इस तरह ध्रुवीकरण के जोर पर भाजपा को चुनाव जिताते हैं.
तीन साल पहले भी संघ भाजपा के विलय की नसीहत दी : बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन साल पहले भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा पर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, आरएसएस को एक राजनीतिक दल में बदलना चाहिए और भाजपा में विलय करना चाहिए. मार्च 2019 में सीएम गहलोत ने कहा था, एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आरएसएस की 'अतिरिक्त-संवैधानिक प्राधिकरण' के रूप में 'पकड़' है. बकौल गहलोत, आरएसएस की सरकार पर एक अतिरिक्त-संवैधानिक प्राधिकरण के रूप में अपनी पकड़ है. कोई भी आरएसएस से पूछे बिना मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं बनता. यही वर्तमान स्थिति है. ऐसे में इसे एक राजनीतिक दल के रूप में परिवर्तित हो जाना चाहिए और भाजपा में संघ का विलय हो जाना चाहिए. हमें इससे कोई समस्या नहीं है.