जयपुर : 3 साल से अधिक के कार्यकाल में सियासी संकटों का सामना कर रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सरकार चलाने के लिए अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करना बेहद जरूरी हो गया है. क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गृह, वित्त, आबकारी, प्लानिंग, कार्मिक और ग्रामीण एवं पंचायतीराज विभाग जैसे 13 महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं.
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के विभागों पर भी अलग से नजर रखने की जिम्मेदारी आ गई है. ऐसे में मुख्यमंत्री के सामने सरकार चलाने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार करना ही एकमात्र विकल्प बचा है.
राज्य में जारी सियासी खींचतान के बीच पायलट खेमा लंबे समय से मंत्रिमण्डल विस्तार की मांग भी कर रहा है. लेकिन राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार टलता रहा है. विधायक भी मंत्रिमण्डल में अपने शामिल होने की बाट जो रहे हैं. राजस्थान में मुख्यमंत्री को मिलाकर 30 मंत्री बन सकते हैं. अभी 21 पद भरे हैं. मंत्रिमंडल में 9 जगह खाली है. कुछ मंत्रियों को संगठन में जिम्मेदारी देने से 12 से 13 जगह खाली हो जाएगी.
2 मंत्रियों को संगठन में जिम्मेदारी, मंत्रिमंडल विस्तार का बढ़ा दबाव
एआईसीसी ने गहलोत सरकार के दो मंत्रियों रघु शर्मा और हरीश चौधरी को गुजरात और पंजाब जैसे चुनावी राज्यों का प्रभारी बनाकर संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी है. दोनों ही मंत्रियों के पास चिकित्सा और राजस्व विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी है.
आमजन से जुड़े दोनों ही विभागों के लिए पूर्णकालीन मंत्री की आवश्यकता है क्योंकि दोनों मंत्री अपने विभागों पर अपने प्रभार वाले राज्यों की जिम्मेदारी के चलते पूरा ध्यान नहीं दे पाएंगे. दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने प्रभार वाले राज्यों में जाना शुरू भी कर दिया है. ऐसे में उनके विभागों पर जब तक प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल नहीं हो जाता है, मुख्यमंत्री को ही ध्यान देना होगा. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास अब जल्द से जल्द मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है.