भरतपुर.महाराष्ट्र निवासी एक महिला 25 साल बाद इस बार रक्षाबंधन पर फिर से अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकेंगी. पति की मौत के बाद विमंदित हालत में मीराबाई महाराष्ट्र स्थित अपने घर से निकल आई और राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित 'अपना घर आश्रम' आ पहुंची. यहां उपचार और देखभाल से स्वस्थ हुई तो परिजनों का पता लगा, जिसके बाद सोमवार को मीराबाई को लेने के लिए उनके भाई और बेटा पहुंचे. मीराबाई खुशी-खुशी उनके साथ घर के लिए रवाना हुई.
10 साल की बेटी बिछड़ी : अपना घर आश्रम के सचिव भूदेव शर्मा ने बताया कि महाराष्ट्र निवासी मीराबाई उर्फ राधा अपने पति की मौत के सदमे से मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गई थी. 25 साल पहले इसी हालत में वो अपनी 10 साल की बेटी के साथ घर से निकल गई थी. 5 साल का बेटा पीछे घर पर ही छूट गया. इसी हालत में वो इधर-उधर भटकती रही. इस बीच उनकी 10 साल की बेटी भी बिछड़ गई.
पढ़ें. Rajasthan : अपना घर आश्रम ने करवाया दो भाइयों का मिलन, 25 साल से मृत समझ करते रहे श्राद्ध, मिला जीवित
5 साल पहले मीराबाई लाई गई थी यहां : भूदेव शर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 में प्रभु जी मीराबाई को सेवा और उपचार के लिए अपना घर आश्रम में भर्ती कराया गया. बेहतर उपचार और देखभाल से मीराबाई धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी और उन्होंने अपना नाम-पता बताया. अपना घर आश्रम के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एनपी सिंह ने मीराबाई के बेटे राहुल का पता लगाया और उन्हें फोन कर सूचित किया.
आश्रम पहुंचे भाई और बेटा :मां मीराबाई के जीवित होने की सूचना से बेटा राहुल काशीदे की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. मां को पहचानने में परेशानी न हो, इसलिए मामा अनिल बलखंडे और दोस्त दिगंबर के साथ राहुल सोमवार को भरतपुर के बझेरा स्थित अपना घर आश्रम पहुंचा. यहां जब मीराबाई का उनके भाई, बेटे से मिलन हुआ तो सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे.
पढे़ं. Special: अपना घर आश्रम की अत्याधुनिक रसोई, 2 घंटे में तैयार हो सकता है 25 हजार लोगों का भोजन
25 साल बाद बांधेंगी राखी :भाई अनिल ने बताया कि मीराबाई के घर से जाने के बाद सभी ने उन्हें खूब ढूंढा, लेकिन कहीं पता नहीं लगा. सभी परिजन मीराबाई को मृत मान बैठे थे, लेकिन अब रक्षाबंधन से दो दिन पहले बहन वापस मिल गई है. 25 साल बाद मीराबाई फिर से अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी.
13 साल बाल सुधार गृह में रहा बेटा :राहुल ने बताया कि पिता की मौत के बाद मां और बहन भी लापता हो गई थीं, इसलिए उसे बाल सुधार गृह में शरण मिली. वहां नलिनी चौधरी ने उसे अपने बच्चे की तरह पाला. जब राहुल 18 साल का हो गया तो उसे बाल सुधार गृह से जाना पड़ा. मां और बहन से बिछड़े इतने वर्ष बीत गए थे कि वो मां को मृत मान बैठा था, लेकिन इतने सालों बाद मां जीवित और स्वस्थ हालत में मिल गई, इससे बड़ी कोई खुशी नहीं है.