रायपुर: गांव गिरांव की छोटी से छोटी समस्या हो या किसी शहर की बड़ी घटना, सेकेंडों में लोगों तक पहुंच रही हैं. सूचना का इतना तेज प्रसार कई बार लोगों को न्याय दिलाने में कारगर भी साबित हो रहा है. युवा पीढ़ी से लेकर बच्चे, बूढ़े और महिलाएं इससे कनेक्टेड हैं. इस ताकत को राजनीतिक दल बखूबी जान और समझ रहे हैं. तभी तो बैनर पोस्टर और रैलियों पर जितना खर्च होता है, उससे ज्यादा आईटी सेल में लगाया जा रहा है. विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस ने भी कमर कस ली है. दोनों ही पार्टियां एक एक वोटर तक पहुंचने और उन्हें प्रभावित करने की रणनीति बना रही हैं. चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस भाजपा में जुबानी जंग तो चल ही रही है, अब साइबर वाॅर भी देखने के मिल सकता है. आईये जानते हैं कि आखिर सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों को इतना भरोसा क्यों है, इससे चुनाव पर क्या असर पड़ सकता है और दलों की क्या है तैयारी.
चुनाव को लेकर कितनी तैयार कांग्रेस आईटी सेल: विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत हासिल कर छ्त्तीसगढ़ में सरकार बनाया. इसमें सोशल मीडिया की भी बड़ी भूमिका थी. कामयाबी को दोहराने के लिए इस बार सभी 90 विधानसभा में पार्टी वर्कर को सोशल मीडिया की ट्रेनिंग हाल ही में दी गई. आईटी सेल की प्रदेश बॉडी सहित विधानसभा, जिला और लोकसभा अध्यक्षों की नियुक्ति की गई और सबकी ट्रेनिंग भी हो चुकी. हजारों व्हाट्सएप ग्रुप काम कर रहे हैं. कांग्रेस आईटी टीम एक-एक विधानसभा में हर व्यक्ति की प्रोफाइल बना रही है. विधानसभा क्षेत्रों में जो भी कार्य किए गए हैं, उसके वीडियो और रील्स बनाकर सोशल मीडिया में डाले जा रहे हैं. जमीन से जुड़कर काम करने वाले सभी 28 प्रकोष्ठ को पार्टी सोशल मीडिया पर ले आई. साथ ही स्पीकअप कैंपेन भी शुरू किया गया.
किसी भी चुनाव में सोशल मीडिया की अहम भूमिका है. बीते वर्षों में भाजपा इस सोशल मीडिया का दुरुपयोग करके भ्रामक तथ्यहीन मनगढ़ंत खबरें प्रसारित कर रही है. युवाओं को भड़काने का षड्यंत्र रच रही है. इस सोशल मीडिया के माध्यम से मोदी सरकार की नाकामियों पर पर्दा डाल रही है. वहीं कांग्रेस पार्टी सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा के झूठ, प्रपंच, प्रोपेगेंडा की राजनीति की जानकारी जनता तक पहुंचा रही है. सच्चाई को जनता के बीच में रख रही है. भाजपा के झूठ का करारा जवाब दे रही है. -धनंजय सिंह ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
कुछ ऐसा है कांग्रेस के आईटी सेल का स्ट्रक्चर:कांग्रेस प्रदेश आईटी सेल में 32 सदस्यों की टीम है. 11 लोकसभा अध्यक्ष हैं. उसके नीचे की बॉडी है, जैसे उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव और सह सचिव. उसके बाद 35 जिला अध्यक्ष हैं. उनके नीचे की बॉडी है. फिर विधानसभा अध्यक्ष हैं, उनके नीचे की बॉडी है. इस तरीके की वर्किंग प्रदेश कांग्रेस आईटी सेल की है. आईटी सेल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जयवर्धन बिस्सा के मुताबिक कांग्रेस पार्टी टोटल कार्यकर्ता और संगठन के भरोसे चुनाव लड़ती है. इससे रिजल्ट भी अच्छा मिलता है. प्राइवेट कंपनी का आदमी 6 बजे के बाद काम करने से मना कर सकता है, लेकिन कांग्रेस संगठन 24 घंटे खड़े होकर काम करता है.
भारतीय जनता पार्टी बिना संगठन बनाए कंपनियों के माध्यम से काम करती है, और झूठ फैलाती है. इन लोगों ने 2018 में भी यही काम किया था और 2023 में भी कर रहे हैं. उस समय भी जनता ने उनको उनकी जगह दिखाई थी. 2023 में हम बहुत बड़ा अंतर महसूस कर रहे हैं कि संगठन ही नहीं हितग्राही भी हमारे साथ बहुत बड़ी तादाद में जुड़ रहे हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे, कुमारी शैलजा, भूपेश बघेल, दीपक बैज लगातार इस बात को कह चुके हैं कि सोशल मीडिया हमारे लिए बहुत अहम है. सोशल मीडिया फ्रंट से चुनाव लड़ते हुए दिखाई देगा. एक बार फिर 75 प्लस के साथ जीत कर आएंगे.-जयवर्धन बिस्सा, प्रदेश अध्यक्ष, आईटी सेल कांग्रेस
भाजपा सोशल मीडिया और आईटी सेल भी है तैयार:विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा का आईटी और सोशल मीडिया सेल अलग-अलग काम कर रहा है. आईटी सेल आईटी की व्यवस्था देखता है और सोशल मीडिया केवल मीडिया पार्ट देखता है और उस दिन की घटना, समाचार, छत्तीसगढ़ की स्थिति को जनता तक पहुंचाता है. इसके लिए फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप सभी का इस्तेमाल होता है. प्रधानमंत्री आवास, गोबर, गौठान, गाय, कानून व्यवस्था, किसान, महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों और जनता की बातों को लगातार उठाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ को पीछे धकेलने और प्रदेश में विकास के काम रुके होने का आरोप भी भाजपा प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार पर लगाती रही है.