नई दिल्ली : देश में जल्द ही हाइड्रोजन परिवहन की अवधारणा की शुरुआत होगी. आरंभ में उत्तर रेलवे के 89 किलोमीटर लम्बे सोनीपत-जींद खंड के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं.
शुरूआत में 2 डीईएमयू रैक को परिवर्तित किया जाएगा और उसके बाद 2 हाइब्रिड इंजनों को हाइड्रोजन ईंधन सेल ऊर्जा परिवहन के आधार पर परिवर्तित किया जाएगा. इस परियोजना से प्रतिवर्ष 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी.
उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी और राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, भारत सरकार के दो प्रमुख कार्यक्रम हैं. इसके तहत पेरिस जलवायु समझौते 2015 और 2030 तक मिशन नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन रेलवे के तहत ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्यों को पूरा किया जा सकेगा. इसके अनुसार देश में हाइड्रोजन परिवहन की अवधारणा को शुरू करने के लिए हाल ही में बजटीय घोषणा की गई थी.
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इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए भारतीय रेलवे वैकल्पिक ईंधन संगठन (आईआरओएएफ) भारतीय रेलवे के हरित ईंधन वर्टिकल ने रेलवे नेटवर्क पर हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित रेलगाड़ियों के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं. यह परियोजना उत्तर रेलवे के 89 किलोमीटर लम्बे सोनीपत-जींद खंड पर शुरू होगी.