नई दिल्ली :केंद्र सरकार वैक्सीनेशन के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दे रही है. इसके साथ ही मौजूदा समय में 18 से 45 साल के वर्ग के लोगों के लिए भी वैक्सीन ड्राइव चलाई जा रही है.
ऐसे में अलग-अलग फ्रंट पर काम करने वाले कर्मचारी भी इसमें प्राथमिकता दिए जाने की मांग कर रहे हैं. रेलवे के टिकट चेकिंग स्टाफ के बाद रेलवे के स्टेशन मास्टर भी इसमें शामिल हो गए हैं. इन्होंने 30 जून तक तमाम कर्मचारियों को वैक्सीनेट करने का अल्टीमेटम दिया है.
इतना ही नहीं कर्मचारी 'नो वैक्सीनेशन नो वर्क' के नारे के साथ 1 जुलाई से रेलवे सेवाएं बाधित करने की चेतावनी दे रहे हैं.
फ्रंटलाइन वर्कर बनाने की मांग
देशभर के स्टेशन मास्टर यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर माना जाए. उनका कहना है कि स्टेशन मास्टर स्टेशनों पर रहकर रोजाना यात्रियों के संपर्क में आते हैं.
देशभर में करीब 150 स्टेशन मास्टर कोरोना संक्रमण के चलते ही अपनी जान गंवा चुके हैं. सैकड़ों कर्मचारी ऐसे हैं, जो संक्रमित हुए और जिन्होंने अपने परिवार के लोगों को संक्रमित किया. कई लोगों के परिवार में भी कोरोना से मृत्यु हुई है. ऐसे में स्टेशन मास्टर का प्रायोरिटी वैक्सीनेशन जरूरी है.
30 हजार से ज्यादा लोगों का कैडर
दावा किया जा रहा है कि देशभर में 30 हजार से ज्यादा स्टेशन मास्टर हैं. कोरोना महामारी की दूसरी लहर में भी यह लोग लगातार स्टेशनों पर न सिर्फ आते हैं, बल्कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन भी करते हैं.
टेक्निकल स्टाफ होने के चलते बिना स्टेशन मास्टर के रेल सेवा नहीं चल सकती. ऐसे में कई स्टेशनों पर एक स्टेशन मास्टर के संक्रमित होने पर दूसरे व्यक्ति पर बोझ कहीं अधिक बढ़ गया है और एक्स्ट्रा टाइम में भी ड्यूटी कर रहे हैं. इसके बावजूद इन्हें प्रायोरिटी वैक्सीनेशन के लिए पात्र नहीं माना जा रहा है.
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