नई दिल्ली :कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और मौजूदा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) 16 अगस्त को दिल्ली में AAP के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर गहन विचार करेंगे.
दिल्ली के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने ईटीवी भारत से कहा, 'हां, संभावना है कि हम कल पार्टी प्रमुख से मिलेंगे.' समीक्षा बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में विपक्षी गठबंधन इंडिया की अगली बैठक से ठीक दो सप्ताह पहले हो रही है, जहां लगभग 26 पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए राष्ट्रीय स्तर की सीट साझा करने की योजना पर चर्चा करेंगी.
कांग्रेस आलाकमान के लिए चुनौती इन दोनों चरम स्थितियों के बीच, बीच का रास्ता निकालने की है. आलाकमान 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय गठबंधन इंडिया को आगे बढ़ाने की इच्छा रखता है, लेकिन वह पार्टी की दिल्ली इकाई के नेताओं के मजबूत विचारों से भी अवगत है जो AAP के साथ किसी भी चुनावी समझौते के खिलाफ हैं.
29 मई को, खड़गे ने जेपी अग्रवाल, अजय माकन, देवेंद्र यादव, अनिल चौधरी, अरविंदर सिंह लवली और हारून यूसुफ जैसे दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं के साथ एक रणनीति सत्र आयोजित किया था. इस दौरान इन नेताओं ने AAP के साथ किसी भी गठबंधन का विरोध किया था. हालांकि यह बैठक इस बात पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी कि क्या कांग्रेस को संसद के मानसून सत्र के दौरान अधिकारियों की पोस्टिंग से संबंधित विवादास्पद दिल्ली अध्यादेश का विरोध करना चाहिए, लेकिन नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनावों के बारे में भी अपने विचार साझा किए.
29 मई की बैठक में शामिल हुए पंजाब इकाई के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने भी खड़गे से यही बात कही थी. बाद में, पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और सीएलपी नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आप के साथ किसी भी चुनाव पूर्व गठबंधन का विरोध करने के लिए खड़गे के साथ अलग-अलग बैठकें कीं. वडिंग और बाजवा दोनों सार्वजनिक रूप से आप संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आलोचना करते रहे हैं.
हालांकि, हाल ही में संपन्न संसद के मानसून सत्र के दौरान, कांग्रेस ने दिल्ली अध्यादेश का विरोध करके AAP का समर्थन किया. हालांकि मोदी सरकार दोनों सदनों में इसे पारित कराने में कामयाब रही.
सबसे पुरानी पार्टी दिल्ली अध्यादेश के प्रति अपना विरोध प्रदर्शित करने के लिए इतनी उत्सुक थी कि उसने 90 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उनके खराब स्वास्थ्य के बावजूद मतदान के दौरान राज्यसभा में उपस्थित रहने के लिए कहा.