हैदराबाद : संसद सत्र की शुरुआत होने से एक दिन पहले पेगासस जासूसी विवाद ने राजनीति और मीडिया जगत में हलचल पैदा कर दी है. ऑनलाइन वेबसाइट 'द वायर' की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कम से कम 300 भारतीय मोबाइल नंबर टारजेट पर थे. इजरायली सर्विलांस टेक्नोलॉजी वेंडर एनएसओ ग्रुप के जरिए जासूसी की गई थी. एनएसओ का क्लाइंट भारत में भी है.
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निशाने पर राहुल तो थे ही, साथ ही उनके करीबियों पर भी नजर बनी हुई थी. उनके ये करीबी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं. हालांकि, वे सार्वजनिक जीवन में सक्रिय नहीं रहते हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि एनएसओ ग्रुप का डेटा लीक हुआ. फ्रेंच मीडिया 'नन प्रोफिट फॉरबिडन स्टोरीज' ने इसे प्राप्त किया. और उसने इसे 16 न्यूज संस्थाओं के साथ साझा किया. इनमें द वायर, द गार्जियन, वॉशिंगटन पोस्ट, ल मोंद भी शामिल हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के तकनीकी लैब ने इस सूची में शामिल फोन की फॉरेंसिक जांच की. इनमें से 37 डिवाइस में पेगासस स्पायवेयर मौजूद था. इन 37 में से 10 भारतीय शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि राहुल गांधी जिस मोबाइल का इस्तेमाल करते थे, उसकी फोरेंसिक जांच नहीं हो पाई, क्योंकि वह इस फोन का इस्तेमाल 2018 और 2019 के बीच किया करते थे.
रिपोर्ट में बताया गया है कि बिना फॉरेंसिक जांच के यह कह पाना कठिन है कि उनके फोन में पेगासस डाला गया था या नहीं. लेकिन उनके करीबियों पर जिस तरीके से नजर बनाकर रखी गई थी, यह दर्शाता है कि राहुल की मौजूदगी इत्तेफाक नहीं है.
'द वायर' ने राहुल गांधी के हवाले से लिखा है कि जैसे ही उन्हें संदिग्ध व्हाट्सऐप मैसेज मिले थे, उन्होंने अपना नंबर बदल लिया था.