हैदराबाद :फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविशन से भारत को कुल 36 राफेल फाइटर प्लेन मिलने हैं. इस रक्षा सौदे पर सवाल सिर्फ अब ही उठ रहे हैं ऐसा नहीं है. 2012 में जब सौदेबाजी तय होना शुरु हुई, उसी वक्त से यह भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा हुआ है. मौजूदा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी है लेकिन फ्रांस में शुरु हुई जांच ने देश के सियासी तापमान को फिर से गर्म कर दिया है. कांग्रेस इस मुद्दे को आने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनाव में उठाने की रणनीति बना चुकी है.
क्या है मौजूदा स्थिति
फ्रांस की असॉल्ट एविएशन द्वारा डील के लिए किसी भारतीय बिचौलिए को भारी-भरकम कमीशन देने का आरोप है. तमाम विवादों के बाद फ्रांस की सरकार ने इस संवेदनशील मामले की रिटायर्ड जज से जांच शुरु कर कराई है. जांच के नतीजे क्या आते हैं, इसी का इंतजार बीजेपी और विरोधी दल दोनों कर रहे हैं. हालांकि कांग्रेस तो इतने भर से भाजपा पर हमलावर है कि फ्रांस में जांच शुरु हो गई. हालांकि यूपीए दो की सरकार भी इसी डील पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सत्ता से दूर है.
क्यों हो रही जेपीसी जांच की मांग
कांग्रेस द्वारा जेपीसी यानि ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी से जांच की मांग नैतिक रुप से कर रही है. क्योंकि वे खुद जेपीसी जांच की आंच झेल चुके हैं. यूपीए दो के दौरान 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच जेपीसी ने भी की थी. तब भाजपा सांसद डॉ मुरली मनोहर जोशी इसके अध्यक्ष थे और उन्होंने कांग्रेस की खूब फजीहत कराई. हालांकि कई नोटिस के बाद भी तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह जांच के लिए जेपीसी के सामने पेश नहीं हुए. कांग्रेस और बीजेपी दोनों जानते हैं कि जेपीसी जांच उस फुटबाल के मैच की तरह होता है जिसमें मैदान के चक्कर तो लगते हैं लेकिन गोल नहीं हो पाता. कांग्रेस की जेपीसी जांच की मांग विशुद्ध राजनीति है. जिससे वे पॉलिटिकल माइलेज लेना चाहते हैं.
यह है राफेल डील का सफरनामा
31 जनवरी 2012 को भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दसॉल्ट एविएशन भारतीय वायु सेना को 126 राफेल एयरक्राफ्ट की आपूर्ति करेगा. इसके साथ ही 63 अतिरिक्त विमान खरीदने का विकल्प देगा. पूर्व की कांग्रेस सरकार में पहले 18 विमानों को दसॉल्ट राफेल द्वारा आपूर्ति की जानी थी और शेष 108 विमानों का निर्माण हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा किया जाना था. जिसके लिए प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण दसॉल्ट करेगा. दसॉल्ट का कहना था कि भारत में विमानों के उत्पादन के लिए 3 करोड़ मानव घंटों की जरूरत होगी लेकिन एचएएल ने इसके तीन गुना ज्यादा मानव घंटों की जरूरत बताई. परन्तु सौदों को लेकर कांग्रेस सरकार किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई. मोदी सरकार आने के बाद प्रधानमंत्री द्वारा फ़्रांस की यात्रा के दौरान इस डील को आगे बढ़ाते हुए दोनों देशो ने इस पर अपनी सहमति दे दी.
सवाल : जो उठ रहे हैं