नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच दोनों देश अपनी-अपनी सीमाओं पर रडार इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच 3488 किलोमीटर की सीमा आपस में मिलती है.
चीन ने झोंगबा (ड्रोंगपा काउंटी) इलाके में 5600 मीटर की ऊंचाई पर रडार इकाई को स्थापित किया है. संभवतः यह सबसे ऊंचे स्थान पर रडार वाली जगह होगी. चीन यहां से नेपाल-भूटान के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत के इलाकों पर नजर रखना चाहता है. चीन ने यहां पर HGR-105, JY-9, JY-26 और JLC-88B रडार को इंस्टॉल किया है.
चीन ने भारतीय सीमा पर जारी गतिविधियों की निगरानी के लिए येचेंग बुरांग (शिनजियांग तिब्बत राजमार्ग पर), याडोंग काउंटी में पगरी (फरी), शन्नान काउंटी में यमद्रोक त्सो, सोना और केचन (तवांग सेक्टर के पार) पर फोकस किया है. यहां से वह अरुणाचल प्रदेश पर निगरानी रखना चाहता है.
दूसरी ओर भारत अपने उत्तरी इलाके और उत्तर पूर्वी भारत में आठ एल-बैंड लांग रेंज ट्रैकिंग रडार प्रणाली को स्थापित कर रहा है. इनका उद्देश्य चीन की सीमाई गतिविधि को कैप्चर करना है.
विगत कई सालों से भारत का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान पर निगरानी रखने के लिए रडार को सीमाई इलाके में स्थापित करना था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. अब भारत चीन को ध्यान में रखकर सीमाई और तटीय इलाकों में तकनीक को मजबूत कर रहा है.
जाहिर है, चीन को जहां मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश के इलाके पर नजर रखने में रुचि है, वहीं भारत को चीन के साथ-साथ पाकिस्तान पर भी नजर रखनी है. यानी भारत को मैकमोहन लाइन के साथ-साथ एलओसी पर भी फोकस बनाए रखना है.