हैदराबाद :1940 के दशक आते-आते पूरे देश में ब्रितानी शासन के खिलाफ लोग पूरी तरह से आक्रोशित हो चुके थे. देश के भीतर कई संगठन, नेता, क्रांतिकारी लगातार अपने-अपने तरीके से आजादी के लिए आंदोलन कर रहे थे. लेकिन इन सबों के बीच एक सामूहिक आंदोलन जरूरी हो गया था. 1942 में आखिरकार वह समय आ गया जब अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एक साथ बड़ा आंदोलन शुरू हुआ, जिसे 'भारत छोड़ो आंदोलन'के नाम से हम सभी जानते हैं. यह आंदोलन अंग्रेजी शासन के खिलाफ आखिरी ताबूत की कील साबित हुई और अंततः भारत के लोगों की मेहनत रंग लाई और देश आजाद हुआ.
जगह मुंबई स्थित गोवालिया टैंक मैदान. सन् 1942, तारीख 9 अगस्त, शाम का समय था. बड़ी संख्या में लोग मौके पर जुटे थे. मोहन दास करमचंद गांधी, जिसे हम सभी बापू, महात्मा गांधी, गांधी, राष्ट्रपिता सहित कई नाम से जानते हैं, आजादी के दीवानों को संबोधित कर रहे थे. हर लोग नजरें मंच की ओर टिकाये हुए थे और गंभीर होकर कान लगाकर भाषण सुन रहे थे. इस बीच महात्मा गंधी ने अंग्रेजों को ललकारते हुए वहां मौजूद भीड़ की ओर इशारा करते हुए अपने हाथ उठाते हु्ए कहा करो या मरो, करेंगे या मरेंगे. इस दौरान उन्होंने कहा नारा दिया भारत छोड़ो- जिसे अंग्रेजों भारत छोड़ो के रूप में आजादी के दिवानों ने खूब इस्तेमाल किया.
मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में एक तरफ सूरज डूब रहा था, दूसरी तरफ अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे बुलंद हो रहे थे. वहां निकलने वाले हर रास्ते पर यही नारा दोहराजा जा रहा था. आगे चलकर यह नारे देश के हर कोने में लगाया जाने लगा. इसके बाद पूरे देश में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन, सरकारी दफ्तरों, रेल, डाक, संचार सेवा पर हमले बढ़ गये. युवा-बुजुर्ग सभी अपने स्तर से स्कूल-कालेज का बहिष्कार करने लगे. विरोध को दबाने के लिए अंग्रेजी हुकूमुत ने हर से दमनात्मक कार्रवाई में जुट गई. बड़े-बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. देश में आपातकाल जैसे हालात पैदा किये गये. मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया. जहां भी आंदोलन तेज होने लगते वहां कर्फ्यू लगा दिया जाता. शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्श हो या हड़ताल सभी पर रोक लगा दिया गया. इसके बाद भी आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा था. जहां भी विरोध हो रहे थे, वहां ब्रतानी हुकूनत निर्ममता से लाठी-गोली से आंदोलन को कुचलने में लगी थी.
बॉम्बे सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन की पड़ी थी नींव
8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने बॉम्बे सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन या भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया. भारत छोड़ो आंदोलन अगस्त में शुरू किया गया था, इस कारण से इसे अगस्त आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है. अगस्त क्रांति. यह भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिए शुरू किया गया एक सविनय अवज्ञा आंदोलन था, गांधी जी ने अपने भाषण में देश से 'करो या मरो' का आह्वान किया. यह आन्दोलन 9 अगस्त 1942 को प्रारम्भ हुआ. इसके बाद अंग्रेजों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए महात्मा गांधी सहित सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया.
आंदोलन की प्रमुख वहज
आजादी के आखिरी आंदोलन के पीछे एक खास वजह थी. द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने पर अंग्रेजों ने भारत को आजादी देने के बदले में भारत का समर्थन मांगा था. भारत से समर्थन लेने के बाद भी जब अंग्रेजों ने अपना वादा नहीं निभाया. इसके बाद भारत को स्वतंत्र कराने के लिए महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ आखिरी युद्ध की घोषणा की. इस घोषणा से ब्रिटिश सरकार में दहशत का माहौल पैदा हो गया और उनकी ओर से आंदोलन को दबाने के लिए कई कदम उठाये गये.