हैदराबाद : पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सांप्रदायिकता को लेकर पार्टी के नजरिए पर सवाल क्या उठाए, उनकी लानत-मलानत शुरू हो गई. किसी ने इसे पार्टी को कमजोर करने वाला बताया, तो किसी ने सहूलियत की राजनीति बताई. दरअसल, पूरा विवाद कांग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के बीच गठबंधन को लेकर खड़ा किया गया है. वैसे, कांग्रेस ने इससे पहले भी इस तरह की पार्टियों के साथ गठबंधन किए हैं. असम, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल में इसके उदाहरण देखे जा सकते हैं.
आइए सबसे पहले ताजा विवाद पर नजर डालते हैं. पश्चिम बंगाल में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) का गठन फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने किया है. सिद्दीकी मुख्य रूप से धार्मिक गुरु हैं. हालांकि, समय-समय पर उन्होंने किसी न किसी राजनीतिक दल का समर्थन किया है. कुछ महीने पहले तक वह तृणमूल कांग्रेस के समर्थक माने जाते थे. लेकिन पिछले कुछ दिनों से स्थितियां बदल गई हैं. अब उन्होंने बाकायदा राजनीतिक दल का गठन कर लिया है. उनके सुर बदले हुए हैं.
पार्टी की घोषणा करने के बाद गठबंधन को लेकर उनके बयान बदलते रहे. आखिरकार उन्होंने वाम दलों के साथ गठबंधन को लेकर ऐलान कर दिया. कांग्रेस को लेकर उन्होंने कहा कि बातचीत सफल नहीं हो सकी. उन्होंने कांग्रेस को अड़ियल बताया. इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का विवादास्पद बयान आ गया. शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सांप्रदायिकता को लेकर दोहरे रवैया नहीं अपना सकती है. उसे आईएसएफ के साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए.
उनके बयान के बाद कांग्रेस में अंदरुनी घमासान बाहर आ गया. पार्टी ने आनन-फानन में आईएसएफ के साथ किसी भी गठबंधन में जाने से इनकार कर दिया. पर, सवाल बहुतेरे हैं. कांग्रेस और लेफ्ट एक साथ चुनाव लड़ रही है. वाम दल अपनी सीटों में से आईएसएफ को सीटें दे रहे हैं. फिर कांग्रेस भी तो उसी गठबंधन का हिस्सा हुई. वह उससे अलग कैसे हो सकती है. क्या यह दोहरी राजनीति नहीं है.
आपको बता दें कि पीरजादा ने टीएमसी सांसद नुसरत जहां को लेकर विवादास्पद बयान दिया था. नुसरत जब एक मंदिर गई थीं, तो पीरजादा ने उन्हें सार्वजनिक तौर पर पिटाई करने की बात कही थी. उनके लिए अपशब्द तक कहे थे.
तृणमूल कांग्रेस के मंत्री फिरहाद हाकिम को वे 'गद्दार' बता चुके हैं. हाकिम ने भी एक मंदिर का दौरा किया था.
सिद्दीकी के और भी बयान हैं, जिसमें उनकी कट्टरता साफ झलकती है. ऐसे में कांग्रेस का उसी गठबंधन का हिस्सा होना चुनावी गणित के लिहाज से द्विधारी तलवार पर चलने जैसा हो सकता है. प.बंगाल में करीब 29 फीसदी मुस्लिम आबादी है. 100 से ज्यादा सीटों पर उनका मत बहुत अहम है. प. बंगाल में कुल 294 सीट है.