नई दिल्ली : सरकार ने शुक्रवार को कहा कि गत 27 जनवरी को हुई पहली 'भारत-मध्य एशिया शिखर बैठक' में शामिल सभी देशों ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर चर्चा की तथा वे इसे लेकर समान चिंताओं एवं उद्देश्यों को साझा करते हैं. विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन (Minister of State for External Affairs V Muraleedharan) ने लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.
गत 27 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल माध्यम से पहली भारत-मध्य एशिया शिखर बैठक की मेजबानी की थी. इसमें कजाकिस्तान (Kazakhstan) के राष्ट्रपति कासिम जुमरात तोकायेव, उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव, ताजिकिस्तान (Tajikistan) के राष्ट्रपति इमामअली रहमान, तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहम्मदेवो और किर्गिस्तान (Kyrgyzstan) के राष्ट्रपति सद्र जापारोप ने भाग लिया.
मुरलीधरन ने एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा, पहली भारत-मध्य एशिया शिखर बैठक (India Central Asia Summit) 27 जनवरी को हुई. यह बैठक हर दो साल में एक बार होगी....सचिवालय समेत संस्थागत व्यवस्था पर काम चल रहा है.' उन्होंने बताया, 'बैठक के दौरान अफगानिस्तान के मुद्दे पर चर्चा की गई थी. अफगानिस्तान की स्थिति भारत और मध्य एशियाई देशों जैसे पड़ोसी देशों के लिए चिंता की बात है. हम इसे लेकर समान चिंताओं और उद्देश्यों को साझा करते हैं...बैठक के दौरान नेताओं ने सभी तरह के आतंकवाद की निंदा की. इस बात पर जोर दिया गया था कि अफगानिस्तान की जमीन का उपयोग आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि बैठक में सहमति बनी कि अफगानिस्तान को लेकर नजदीकी संपर्क बनाए रखा जाएगा.