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नागपुर के प्यारे खान ने 'ऑक्सीजन जकात' पर खर्च किए ₹85 लाख

कोरोना महामारी के दौर में एक ओर जहां सांसों की लड़ाई जारी है, वहीं दूसरी ओर इस महामारी के कहर ने लाखों जिंदगियों को मौत की नींद सुला दिया. महाराष्ट्र के नागपुर निवासी प्यारे खान उम्मीद की किरण बनकर सामने आए हैं. संतरे बेचने से शुरुआत कर ऑटोरिक्शा तक चला चुके प्यारे खान अब एक बड़े ट्रांसपोर्टर हैं. संकट की इस घड़ी में वह एक हफ्ते में 85 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं, जिससे 400 मीट्रिक टन ऑक्सिजन अस्पतालों तक पहुंच चुका है.

प्यारे खान
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Published : Apr 27, 2021, 8:56 AM IST

नागपुर :देश में कोरोना का कहर जारी है. इस महामारी से महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित है. इस महामारी की वजह से देश में हाहाकार मचा हुआ है. वहीं, कोरोना के इस काल से निपटने में सरकार फेल नजर आ रही है. इसी बीच कुछ लोग उम्मीद लगाये बैठे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द उचित स्वास्थ्य सेवाए मिल सके. ऐसे में एक शख्स ऐसा है, जो उम्मीद की किरण बन कर सामने आया है. प्यारे खान, जो कोरोना संक्रमितों को ज्यादा से ज्यादा मदद पहुंचाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं.

प्यारे खान ने 85 लाख की ऑक्सीजन दान दी

कोरोना महामारी के दौर में एक ओर जहां सांसों की लड़ाई जारी है, वहीं दूसरी ओर इस महामारी के कहर ने लाखों जिंदगियों को मौत की नींद सुला दिया. महाराष्ट्र के नागपुर निवासी प्यारे खान उम्मीद की किरण बनकर सामने आए हैं. संतरे बेचने से शुरुआत कर ऑटोरिक्शा तक चला चुके प्यारे खान अब एक बड़े ट्रांसपोर्टर हैं. संकट की इस घड़ी में वह एक हफ्ते में 85 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं, जिससे 400 मीट्रिक टन ऑक्सिजन अस्पतालों तक पहुंच चुका है.

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प्यारे खान महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले हैं. एक हप्ते के भीतर उन्होंने कोरोना मरीजों की मदद के लिए 85 लाख रुपये की ऑक्सीजन दान दी है. नागपुर में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. महाराष्ट्र के साथ-साथ नागपुर की स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमरा गई हैं, कहीं दवाओं की कमी तो कहीं ऑक्सीजन की किल्लत है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है. इस विकट स्थिति में प्यारे खान जैसे लोगों ने कोरोना मरीजों की मदद करने का बीड़ा उठा रखा है.

प्यारे खान कड़ी मेहनत के बल पर ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक बने हैं. प्यारे खान का कहना है कि रमजान का पाक महीना चल रहा है. इस समय अच्छा काम मुझे संतुष्टि प्रदान करेगा. हाल ही में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि यह अनुमान नहीं लगा सकते कि अगले 15 दिनों में क्या होने वाला है. उन्होंने यह भी कहा था कि दवाओं, रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन टैंक की कमी के कारण सैकड़ों लोगों की जिंदगियों पर मौत का खतरा मंडरा रहा है.

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संघर्ष के दिनों में प्यारे खान ने नागपुर रेलवे स्टेशन पर संतरे बेचा करते थे. इसके बाद उन्होंने एक ऑटो रिक्शा चलाना शुरू किया (जो उन्होंने अपनी मां के कुछ गहने बेचने के बाद खरीदा था). इसके बाद उन्होंने बैंक ऋण लिया और 2007 में अपनी परिवहन कंपनी शुरू की. आज उनके पास ट्रांसपोर्ट की एक बड़ी कंपनी है.

कोरोना संकट के इस समय में जब अपने भी मुंह फेर रहे हैं, तब प्यारे खान अपने शहर के लोगों के लिए खड़े हैं. वह यथासंभव मदद देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. देश में ऑक्सीजन की भारी किल्लत है, ऐसे में भी प्यारे खान शहर में 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में कामयाब रहे हैं.

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