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पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में आज लेंगे शपथ - मुख्यमंत्री तीरथ सिंह

पुष्कर सिंह धामी
पुष्कर सिंह धामी

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Published : Jul 3, 2021, 3:34 PM IST

Updated : Jul 4, 2021, 3:53 AM IST

17:58 July 03

शपथ ग्रहण कल : तोमर

केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी को विधायक दल के नेता पद के लिए चुना गया. भाजपा विधायक दल के इस प्रस्ताव को लेकर राज्यपाल के पास गए और उनसे आग्रह किया कि वो हमारे नए नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करें. कल शपथ ग्रहण होगा. 

उन्होंने कहा कि 2022 में भाजपा पहले की तरह बहुमत प्राप्त कर सरकार बनाएगी. भाजपा ने सर्वसम्मति से एक नए नौजवान नेता को मुख्यमंत्री के रूप में चुना है, मुझे आशा है कि पुष्कर धामी जी के नेतृत्व में भाजपा यशस्वी होगी और उत्तराखंड का विकास नए आयाम को छुएगा. 

17:57 July 03

पुष्कर सिंह धामी का बयान

पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मैं संकल्प लेता हूं कि उत्तराखंड के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक हमारी सरकार और सेवाएं पहुंचेंगी. जहां दुनिया के दूसरे देश अपनी प्रयोगशालाओं में कोरोना का निर्माण कर रहे हैं और वहीं हम विश्व बंधुत्व की भावना से दुनिया के दूसरे देशों को भी वैक्सीन दे रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि मेरा ये लक्ष्य होगा कि हमारे जो हज़ारों-लाखों भाई बेरोजगार हैं, उनको रोजगार से जोड़ने का काम हो.  

16:12 July 03

पुष्कर सिंह धामी होंगे नए मुख्यमंत्री

ईटीवी भारत से खास बातचीत में पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 'मेरे सामने चुनौतियां कई हैं, ऐसे में मेरा मकसद अपने काम से जनता का भरोसा जीतना है'. 

15:22 July 03

पुष्कर सिंह धामी का राजनीतिक सफर

देहरादून :  उधमसिंह नगर जिले के खटीमा से दो बार के भाजपा विधायक पुष्कर सिंह धामी (PUSHKAR SINGH DHAM)  उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे. भारतीय जनता पार्टी के राज्य मुख्यालय में बतौर पर्यवेक्षक केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पार्टी मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम और निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की मौजूदगी में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में उनका नाम सर्वसम्मति से तय हुआ.

विधायक दल की बैठक के बाद तोमर ने बताया कि धामी के नाम का प्रस्ताव निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक ने रखा, जिसका अनुमोदन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई विधायकों ने किया. उन्होंने बताया कि बैठक में धामी के अलावा किसी और के नाम का प्रस्ताव नहीं रखा गया, जिसके बाद उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया. 

मुख्यमंत्री के रेस में प्रदेश के बड़े- बड़े सियासी सुरमाओं का नाम था. धन सिंह रावत, सतपाल महाराज, रमेश पोखरियाल निशंक, बिशुन सिंह चुफाल जैसे दिग्गज सीएम की रेस में आगे चल रहे थे. ऐसे में इन सबको दरकिनार करते हुए बीजेपी ने विधान मंडल की बैठक में खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगा दी है. 

पुष्कर सिंह धामी का बयान
उत्तराखंड भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मेरी पार्टी ने एक सामान्य से कार्यकर्ता को सेवा का अवसर दिया है. जनता के मुद्दों पर हम सबका सहयोग लेकर काम करेंगे.

पुष्कर सिंह धामी का राजनीतिक सफर
ऐसे में पुष्कर सिंह धामी की राजनीति सफरनामा पर एक नजर डालते हैं, जिसकी वजह से उन्हें अगला सीएम के रूप में चुना गया. पुष्कर सिंह धामी का जन्म पिथौरागढ़ के टुंडी गांव में हुआ. इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा हासिल की. धामी पोस्ट ग्रेजुएट हैं. व्यावसायिक शिक्षा में उन्होंने मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध के मास्टर डिग्री ली है.

लखनऊ विश्वविद्यालय में धामी छात्र समस्याओं को उठाने के लिए जाने जाते थे. 1990 से 1999 तक वो ABVP के विभिन्न पदों पर रहे. उनके खाते में लखनऊ में ABVP के राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक और संचालक होने की उपलब्धि दर्ज है. पुष्कर सिंह धामी यूपी के जमाने में ABVP के प्रदेश महामंत्री भी रहे.

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उत्तराखण्ड के अति सीमांत जनपद पिथौरागढ़ की ग्राम सभा टुंडी, तहसील डीडीहाट में उनका जन्म हुआ. सैनिक पुत्र होने के नाते राष्ट्रीयता, सेवा भाव एवं देशभक्ति को ही उन्होंने धर्म के रूप में अपनाया. आर्थिक अभाव में जीवन यापन कर सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की. तीन बहनों के पश्चात अकेला पुत्र होने के नाते परिवार के प्रति जिम्मेदारियां हमेशा बनी रहीं.

कुशल नेतृत्व क्षमता, संघर्षशीलता एवं अदम्य साहस के कारण दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सन 2002 से 2008 तक छह वर्षों तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगारों को संगठित करके अनेकों विशाल रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किए. 

संघर्षों के परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण राज्य के उद्योगों में दिलाने में सफलता प्राप्त की. इसी क्रम में 2005 में प्रदेश के युवाओं को जोड़कर विधान सभा का घेराव हेतु एक ऐतिहासिक रैली आयोजित की गयी. जिसे युवा शक्ति प्रदर्शन के रूप में उदाहरण स्वरूप आज भी याद किया जाता है.

तीरथ सिंह ने शुक्रवार रात राज्यपाल को दिया था इस्तीफा
गौरतलब है कि उत्तराखंड में पैदा हुए संवैधानिक संकट के बीच पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चार माह से भी कम समय तक पद पर रहने के बाद शुक्रवार देर रात राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा देने के बाद रावत ने संवाददाताओं को बताया कि उनका इस्तीफा देने की मुख्य वजह संवैधानिक संकट था जिसमें निर्वाचन आयोग के लिए उपचुनाव कराना मुश्किल था.

उन्होंने कहा कि संवैधानिक संकट की परिस्थितियों को देखते हुए मैंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा.

पौड़ी से लोकसभा सदस्य रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था और संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह माह के भीतर यानी 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था.

जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्‍यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्ति होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्‍य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो. 

Last Updated : Jul 4, 2021, 3:53 AM IST

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