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अभिषेक अनुष्ठान की अवज्ञा करना भगवान के प्रति विद्रोह के समान : पुरी शंकराचार्य - पुरी के शंकराचार्य

puri shankaracharya : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह करने के लिए शास्त्रों में लिखे अनुष्ठानों का पालन नहीं करने के लिए केंद्र की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि अनुष्ठानों की अवज्ञा करना विनाश का कारण बनता है और भगवान के खिलाफ विद्रोह करने के समान है.

Ram Mandir consecration
राम मंदिर मॉडल

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 14, 2024, 4:55 PM IST

गंगासागर (पश्चिम बंगाल): पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने राम मंदिर उद्घाटन को लेकर रविवार को केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि जब प्रतिष्ठा से संबंधित अनुष्ठानों का पालन नहीं किया जाता है तो यह भगवान के खिलाफ विद्रोह जैसा है.

यह दोहराते हुए कि वह 22 जनवरी को राम मंदिर अभिषेक में शामिल नहीं होंगे, सरस्वती ने कहा कि वह बाद में निश्चित रूप से अयोध्या जाएंगे. उन्होंने कहा कि 'धार्मिक एवं आध्यात्मिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप वांछनीय नहीं है. हमारा संविधान भी इस तरह के हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देता.'

गंगासागर में पवित्र स्नान करने के बाद सरस्वती ने मीडियाकर्मियों से कहा, 'धार्मिक एवं आध्यात्मिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप वांछनीय नहीं है. हमारा संविधान भी इस तरह के हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देता.'

उन्होंने कहा कि 'राजनेताओं की कुछ जिम्मेदारियां और सीमाएं हैं जो संविधान में बताई गई हैं. धार्मिक और आध्यात्मिक मामलों में भी इन नियमों का पालन करना चाहिए. राजनेताओं का हर मामले में हस्तक्षेप करना अवांछनीय है.'

मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सरस्वती ने कहा, शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं. यहां तक ​​कि राज्य के प्रमुख या प्रधानमंत्री को भी इन नियमों का पालन करना पड़ता है. किसी के नाम को बढ़ावा देने के लिए इन नियमों की अवज्ञा करना ईश्वर के प्रति विद्रोह का कार्य और विनाश की ओर जाने वाला मार्ग है.

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 8 से 13 जनवरी के बीच लगभग 45 लाख तीर्थयात्रियों ने गंगासागर में पवित्र डुबकी लगाई और सोमवार को मनाई जाने वाली मकर संक्रांति पर यह आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है. मकर संक्रांति पर गंगासागर मेले को देखते हुए यहां भारी सुरक्षा उपायों की योजना बनाई गई है.

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