गंगासागर (पश्चिम बंगाल): पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने राम मंदिर उद्घाटन को लेकर रविवार को केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि जब प्रतिष्ठा से संबंधित अनुष्ठानों का पालन नहीं किया जाता है तो यह भगवान के खिलाफ विद्रोह जैसा है.
यह दोहराते हुए कि वह 22 जनवरी को राम मंदिर अभिषेक में शामिल नहीं होंगे, सरस्वती ने कहा कि वह बाद में निश्चित रूप से अयोध्या जाएंगे. उन्होंने कहा कि 'धार्मिक एवं आध्यात्मिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप वांछनीय नहीं है. हमारा संविधान भी इस तरह के हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देता.'
गंगासागर में पवित्र स्नान करने के बाद सरस्वती ने मीडियाकर्मियों से कहा, 'धार्मिक एवं आध्यात्मिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप वांछनीय नहीं है. हमारा संविधान भी इस तरह के हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देता.'
उन्होंने कहा कि 'राजनेताओं की कुछ जिम्मेदारियां और सीमाएं हैं जो संविधान में बताई गई हैं. धार्मिक और आध्यात्मिक मामलों में भी इन नियमों का पालन करना चाहिए. राजनेताओं का हर मामले में हस्तक्षेप करना अवांछनीय है.'